वो खुदको बहुत तेज समझता है,
वो तुरंत इधर की बातें उधर करता है,
सभी पर उंगली उठाकर सभी में कमियां हैं बतलाकर,
वो अपने मुंह मियां मिट्ठू बनता है,
उसको खुद के सिवा अच्छा,
ओर कोई नहीं दिखता है,
वो चाटुकारों से घिरा खुदको बहुत अनुभवी समझता है,
वो गड्ढे से नहीं है वाकिफ और नदी की बात करता है..✍️ आनन्द"
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