मन का रंगमंच
विश्व रेडियो दिवस 📻— % &-
ये शब्दों का जोड़, तोड़,
बड़ा बेजोड़ मज़ा है।।
अभी तो ,हम आए है।
अभी तो झकझोर मज़ा है।।
जब अपनी दस्ता लिखने बैठो तो आशु यू बहाना की,,
शब्दो का दरिया बन जाए..
और आने वाली सुनामी तुम्हारी त्रासदी बाय करे!!
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और बताओ..
मेरी तरह फिजूल online आते हो
या कही setting चल रही है तुम्हारी!!-
जिद्द है तभी तो जिंदा हूं
वरना घुट घुट के मरने के लिए ,,
आशिकी न कर लू।।-
तुम्हारे शहरो में लोग पूछते है ,पहचान..!
बताओ कितने नंबर मकान..?
वहा मेरे नाम से पूरा गांव जानता है
बेशक मैं गवई हूं....
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मैं गहरे समुंदर का मछावरा हुं,,
मुझे नदियों में गोता लगाने का शौख नही।।-