भरा हुआ है स्वभिमान..
करना चाहे जो हमेशा कुछ खास,
नहीं चाहिए कुछ भी अनायास..
विचारों से लगती है थोड़ी सख्त,
सोचती रहती है जो अनवरत..
जो कोई कर लेता मुझपर विश्वास,
घुल मिल जाती हूं उसके साथ..
बातों में इतनी सरल,
पत्थर भी जाए पिघल...
ख्वाबों की एक सहेली हूं
अनबुझी ही सही, पहेली हूं...
दिल है जिसका नादान,
बसती जिसमे एक नन्ही जान..
बस इतनी ही है मेरी पहचान...!!
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