𝕾𝖍𝖆𝖆𝖓   (अनकहा~)
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Joined 21 October 2017


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8 AUG AT 17:27

शाम की ठंडी हवा, तेरी हँसी और गर्म चाय,
क्या खूब मिलन है..... रूह को भी आराम आए…

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7 AUG AT 16:30

तेरी बाहों में सिमट जाऊँ तो वक्त भी रुक जाए,
यूं दिल की ज़मीन पर आसमां से बन रुक जाओ तुम.!

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इस सहर का खूबसूरत पल हो तुम;
सबकुछ नया कर दे वो पल हो तुम

तू मुस्कुराए तो जैसे वक़्त ठहर जाए,
तेरे लफ़्ज़ों से सुबहें अपनी राहें बदल जाएं।

तू पास नहीं फिर भी हर सांस में हो,
जैसे बारिश में छुपी कोई नमी हो तुम।

तुम्हें देखना… जैसे वक़्त का रुक जाना,
और तुम्हारा मुस्कुराना… जैसे दिल का
धड़क जाना।

नज़रों से दूर सही, पर एहसासों में पास हो,
हर बेनाम सी तन्हाई में, बस तुम ही तो
ख़ास हो।

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4 AUG AT 19:59

तेरे पास होने का एहसास कुछ यूँ है,
जैसे ढलती शाम में आसमान मुझसे
लिपट गया हो...

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3 AUG AT 18:37

हर बार तुम्हारी खुशी देखना अच्छा लगता है,
तुम्हे मुस्कराते देखना अच्छा लगता हैं :)

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3 AUG AT 17:36

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3 AUG AT 11:34

नेक दिल और गहरी सोच

नेक दिल का उजाला जो राहें बुने,
गहरी समझ से ख्वाबों के रंग जुड़े।

जहाँ सोच की किरणें चमकने लगे,
हर खुशी का मौसम महकने लगे।

नया हर सहर में नयी रौशनी हो,
तेरी हर उड़ान में बेशकीमती घनी हो।

जो लफ्ज़ों में नर्मी, जो जज़्बे में नूर,
वही तेरा कल हो, वही तेरा गुरूर।

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2 AUG AT 17:28

तुम्हारी मौजूदगी से दिल को वो सुकून मिलता है,
जैसे वीराने में कोई मीठा साज़ बजता है।
तुम्हारी हर साँस, जैसे कोई नर्म सरगम हो,
जो मेरे दिल के तारों को छूकर हर बार नया
गीत रचता है।

तुम्हारे पास होकर ऐसा लगता है,
जैसे वक्त थम गया हो और सिर्फ मोहब्बत चल
रही हो। तुम्हारी हर धड़कन मेरे नाम लिखती है,
और हर पल मुझे अपने और करीब खींचती है।

तुम हो, तो ये दुनिया खूबसूरत लगती है,
हर मौसम में बहार की तरह महकती है।
तुम्हारी साँसों में, तुम्हारी खुशबू में,
मैं खुद को हर रोज़ खोता हूँ, और फिर से
तुम्हारा हो जाता हूँ।

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1 AUG AT 22:36

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1 AUG AT 17:04

उसकी मुस्कुराहट का नूर मेरे ख्वाबों को
रोशन कर देता है, हर हसरत उसी के
चेहरे पर ठहर कर, जैसे सुकून पा लेती है,

उसकी हँसी की मिठास में जो लम्हे थमते हैं,
वो मेरे दिल के हर जख्म पर जैसे मरहम रखते हैं,

वो जब मुस्कुराती है, तो मेरी रूह में एक सुरूर सा
जागता है,हर ख्वाब उसकी हंसी के दर पर आकर
जैसे सजदा करता है,

उसकी मुस्कान से निकली वो नरम सी रोशनी,
मेरी हर आरज़ू को अपने आगोश में सिमटाती है,

और मैं, बस उसके हंसते हुए चेहरे को तकता रह
जाता हूँ, हर ख्वाब को उसकी मुस्कान में अपनी
ज़िन्दगी की झलक पाता हूँ।

ऐसा लगता है जैसे खुदा ने उसकी मुस्कुराहट में,
मेरे ख्वाबों का मक़ाम छुपा रखा हो,और मैं, उसी
मुस्कान में अपनी सारी कायनात ढूँढ़ लेता हूँ।

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