मंजर यू मोहब्बत का कुछ अजीबो गरीब है,
हमारी जान ही आज जान लेने के करीब है।-
अजीबोगरीब हालत है हमारी तेरे बगैर सनम ,
रह भी लेते है और जी भी नहीं सकते तेरे बगैर ।-
ज़माने में इश्क़ भी अजीबोगरीब तज़ुर्बा देती है
मंझधार से बचाती है मग़र शाहिल पे डूबा देती है।-
दुनिया में कुछ अजीबो गरीब रिश्तों के, अलग ही दस्तूर है ।
लोग एक दूसरे से बधकर भी, अलग होने पर मजबूर है ।।-
कोई खा-खा कर मर रहा कोई भूख से मर रहा
फिर भी "ज़ख्मी" कोई मौत से नहीं डर रहा
अजीब से लोग हैं आखिर ये इंसान क्या कर रहा!-
दिन काट लेते हैं, रात काट लेते हैं,
आती है याद तो हाथ काट लेते हैं..
हैं कुछ आशिक दुनिया में अजीबो-गरीब,
इश्क की खातिर उनका, गुनाह बांट लेते हैं..!-
क्या अजीबोगरीब स्थिति हो गयी है आज के इंसान की,
"जो ग़म भुलाने के लिये" पहले रात में मयखाना जाता था, आज 24 घंटा फ़ोन चलाता है-
यहां दुखों की अजीबो गरीब
शक्लें हैं..
तुम इस मुकाम पे होते तो
मर गए होते...-
जाने क्यों समझ नहीं आती जिंदगी
अजीबोगरीब मंजर दिखाती जिंदगी
प्यारे ख़्वाब तोड़ चली जाती जिंदगी
मुश्किलों से नहीं घबराती जिंदगी
फिर क्यों नहीं सीख पाती जिंदगी
अंधेरों और उजालों के इस सफ़र में
दौड़ दौड़ क्यों थक जाती जिंदगी
इंसानियत बेच दी चंद पैसों के लिए
लाशों की भी बोली लगाती जिंदगी
सांसों को खरीदकर महंगी दरों पर
बेबस लाचार काम चलाती जिंदगी
मजबूर मगर जीने के लिए जग में
जाने कैसे कैसे बिक जाती जिंदगी
कहीं चैन की छांव के तले बैठी कहीं
वक्त की धूप में पांव जलाती जिंदगी
लड़ती झगड़ती गिरती संभलती देखो
फिर भी कैसे चलती चली जाती जिंदगी-