कुछ लोग वक़्त के साँचे में ढल जाते हैं
और कुछ लोग वक़्त का साँचा बदल जाते हैं।-
'वज़ा' बारीकियों से इश्क़ की जो तह निकालोगे
तुम इससे दूर रहने ... read more
एक खामोशी.......
जो कुछ कहना तो चाहती है,
पर कहती नहीं है शायद...
वो कुछ कहना चाहती है,
इसी लिए चुप रहती है शायद...
वो चुप रह कर खामोशी से
कुछ दर्द सहती है शायद...
भले शुर्ख नज़र आती है, पर,
वो ऑंखें अंदर से बहती हैं शायद...
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माना कि नादानी में.........!
तुमने कर डाले हैं कई बड़े गुनाह,
अगर हम भी तुम्हें सज़ा ही दें,
तो हमारे मोहब्बत में होने का क्या फायदा....!-
सुरूर कितना फीका कर लिया है अपना,
तुम्हे तो गहरे रंग सा चढ़ना भी नहीं आता।
खुद को छोड़ गए हो अब भी मेरे दिल में,
तुम्हें तो ढंग से बिछड़ना भी नही आता ।-
हे प्रभु मुझे शक्ति देना,
के व्यथा सभी सह पाऊँ मैं,
जिसके बिन जीना मरना है,
अब उसके बिन रह पाऊँ मैं।-
तेरे बदल जाने से फर्क इस लिए पड़ गया मुझे
के तुझसे उम्मीद धोके की नहीं थी............!
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हमनें उनपर जितनी मोहब्बत लुटा दी,
उतने के तो वो हक़दार भी नहीं थे...!-
किस तरहा बनती भला बात हमारी...!
हमें सिर्फ उनसे ही बात करनी थी,
और उन्हें सिर्फ हमसे ही बात नहीं करनी थी।-
अपने दिल से तो निकाल दिया,
अब कहाँ जाऊँ पता दे मुझको,
तुझसे बिछड़ के मैं कहीं का नहीं रहा..!
अब कहाँ रहूँ बस इतना बता दे मुझको....!-
वो ऐसे हुनर मंद इंशा है ग़ालिब,
वो राहों में राही बदलते है अक्सर
कोई छूट जाए नहीं फर्क उनको,
वो खुद में मगन हो के चलते है अक्सर,
वो राहों में राही बदलते हैं अक्सर।
वज़ा-