Mithilesh Kumar Arya   (mk.arya..(वज़ा))
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Joined 13 May 2017


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Joined 13 May 2017
2 APR AT 6:31

कुछ इस तरह गुजर जाता है वक़्त हमारा

हम उन्हें देखते है,
वो घड़ी देखते है....

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9 MAR AT 22:54

कुछ इस तरहा अपने खाली समय को
भर लिया करता हूँ मैं,
जब उनसे बात नहीं होती है तो,
किसी और से उनकी बात कर लिया करता हूँ मैं।

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29 FEB AT 15:21

रफ़्ता रफ़्ता फ़ासलों का आगाज़ करती गई,
हम इंतज़ार करते गए, वो नज़रअंदाज़ करती गई।

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14 JAN AT 9:32

फ़िज़ा जर्द थी के शज़र बेजान पड़ा था,
मेरे सामने खुला आसमान पड़ा था।
सब मुझे जानते थे उनके बीच,
मैं सब के सामने अनजान पड़ा था।

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14 JAN AT 7:42

जी लेता हूँ कभी कभी ऐसी जिंदगी,
जिसे तुम कहते ही अच्छी जिंदगी।

मुझे लगता है तुम्हारा स्वाद अधूरा है अभी,
तुम जी रहे हो बड़ी कच्ची जिंदगी।

और हाँ मुझसे न पूछो बता नहीं पाऊंगा
मैंने भी नहीं देखी है सच्ची जिंदगी।

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14 JAN AT 7:08

तुम सुधरोगे नहीं खुद को तबाह फिर करोगे,
मैं जानता हूँ  तुम ये गुनाह फिर करोगे।
तुम्हें जला डालेगी मोहब्बत में जो,
उसी की परवाह......फिर करोगे।

वो तुम्हें हर दफ़े गिराने की ज़हमत करेगा,
और तुम उसी को आगाह फिर करोगे।
अग़र मेरी मानो तो मान लो मेरी
वरना दर्द से निबाह फिर करोगे।

यही हाल रहा तो कोई पूछेगा भी नहीं,
फिर बताओ किसकी चाह फिर करोगे।
कहा था मैंने कि जीतेजी मर जाओगे ऐसे,
अब बताओ मोहब्बत अथाह फिर करोगे ?

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14 JAN AT 7:01

तेरे दिल से उतरने से पहले,
बेख़ौफ़ था मोहब्बत करने से पहले।
बर्बाद कुछ इस क़दर हो गया,
मैं मर गया मरने से पहले।

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13 JAN AT 3:12

मोहब्बत में एक ऐसा मक़ाम मिलता है,
मैं करता नहीं हूँ जो काम मिलता है।
ख़ुद को कर लेता हूँ जब पूरी तरह बर्बाद,
तब इस दिल को आराम मिलता है।

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5 JAN AT 23:24

तेरी तस्वीर अपने पास बुलाने लगी है मुझे,
अब तो हर वक़्त तेरी याद आने लगी है मुझे।
यूँ तो तुझ से दूर हूँ परेशां हूँ, रोता हूँ बहौत,
मेरे अश्क़ भी आज कल समझाने लगी है मुझे।

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25 DEC 2023 AT 8:28

हमनें इस तरहा अपने आशियाँ में फन रखा है,
दिल जलाया है बहौत और घर रौशन रखा है।

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