Mithilesh Kumar Arya   (mk.arya..(वज़ा))
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Joined 13 May 2017


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1 JAN AT 11:31


कुछ लोग वक़्त के साँचे में ढल जाते हैं
और कुछ लोग वक़्त का साँचा बदल जाते हैं।

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21 NOV 2024 AT 6:01

एक खामोशी.......

जो कुछ कहना तो चाहती है,
पर कहती नहीं है शायद...

वो कुछ कहना चाहती है,
इसी लिए चुप रहती है शायद...

वो चुप रह कर खामोशी से
कुछ दर्द सहती है शायद...

भले शुर्ख नज़र आती है, पर,
वो ऑंखें अंदर से बहती हैं शायद...

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9 OCT 2024 AT 9:31

माना कि नादानी में.........!
तुमने कर डाले हैं कई बड़े गुनाह,

अगर हम भी तुम्हें सज़ा ही दें,
तो हमारे मोहब्बत में होने का क्या फायदा....!

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22 SEP 2024 AT 19:24


सुरूर कितना फीका कर लिया है अपना,
तुम्हे तो गहरे रंग सा चढ़ना भी नहीं आता।
खुद को छोड़ गए हो अब भी मेरे दिल में,
तुम्हें तो ढंग से बिछड़ना भी नही आता ।

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22 SEP 2024 AT 18:58

हे प्रभु मुझे शक्ति देना,
के व्यथा सभी सह पाऊँ मैं,
जिसके बिन जीना मरना है,
अब उसके बिन रह पाऊँ मैं।

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22 SEP 2024 AT 14:52

तेरे बदल जाने से फर्क इस लिए पड़ गया मुझे
के तुझसे उम्मीद धोके की नहीं थी............!

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18 SEP 2024 AT 14:10

हमनें उनपर जितनी मोहब्बत लुटा दी,
उतने के तो वो हक़दार भी नहीं थे...!

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17 SEP 2024 AT 10:11

किस तरहा बनती भला बात हमारी...!

हमें सिर्फ उनसे ही बात करनी थी,
और उन्हें सिर्फ हमसे ही बात नहीं करनी थी।

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17 SEP 2024 AT 9:24

अपने दिल से तो निकाल दिया,
अब कहाँ जाऊँ पता दे मुझको,
तुझसे बिछड़ के मैं कहीं का नहीं रहा..!
अब कहाँ रहूँ बस इतना बता दे मुझको....!

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30 AUG 2024 AT 11:31

वो ऐसे हुनर मंद इंशा है ग़ालिब,
वो राहों में  राही बदलते है अक्सर
कोई छूट जाए नहीं फर्क उनको,
वो खुद में मगन हो के चलते है अक्सर,
वो राहों में राही बदलते हैं अक्सर।

वज़ा

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