पूछते है उनसे ही सवाल जिन्होनें जीना खुशहाल कर दिया,
कोई पूछे उनसे भी जाकर जिन्होंने देश को कंगाल कर दिया।
एक की कोशिशों से नहीं बदलेगी देश की छवि थोड़ा सब करो,
बोली जिस जिस से मैंने ये बात, उसने जीना बदहाल कर दिया।
आज माँग रहे हैं वो हिसाब उगने वाली फसल का बेशर्मों की तरह,
जिन्होंने फायदे के लिए बिना अकाल, देश में अकाल कर दिया।
मुल़्क, ये वतन, ये देश, है सबका किसी एक की जागीर तो नहीं,
फ़िर क्यों जिसने जैसे चाहा वैसे इस देश का इस्तेमाल कर दिया।।
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