सोच कर देखा भी कभी किसी के लिए उसकी तरफ़ से,
या यूं ही बिन सोचे ही सब कुछ सोच लिया अपनी तरफ़ से!-
जब से होने लगी है शब्दों की चोरी
हुआ है अंदाजा शब्दों की कीमत का-
इंसानियत ही यहां डर रही है इंसान से,
ना देख राह रोशनी की, आगे है बढ़ना अंधियारे रास्तों से,
वाकिफ नहीं मेरे नन्हे तू इस भीषण वास्तव से,
तबाही का होता अंदाजा तो जन्म ना देती तुझे इस कोख से।-
दिल की गहराइयों में उतरो तो
दर्द का अंदाजा लग पाएगा
यूं आंसुओं को कब तक गिनोगे।...-
ओस की बूँद जैसी थी ज़िन्दगी ,
धूप क्या पड़ी...
धुआँ हो गई ,,
उजाला क्या हुआ...
हकीकत का अंदाज़ा हुआ,
वाह रे ज़िन्दगी...!!-
लेकिन दुनिया यहां पर खत्म नहीं हो जाती।
किस्मत ऐसा ही करती है। चोट भी देती है, उसके
बाद मरहम भी लगाती है। लेकिन आप मायूस ना हो।
ज़हाँ सब कुछ बिगड़ जाता है वहीँ से कुछ ठीक भी
होने लग जाता है, और वक़्त के साथ यकीनन
आपको इस बात का अंदाजा लग जायेगा।-
होने से पहले किसी को नहीं लगता अंदाजा है।
कि साहेब ईश्क, ईश्क नहीं उम्र भर का जगराता है।
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बेखबर हैं दोनों, गलत वक्त पर आते जाते हैं,
उनके इश्क का अंदाजा हम कहां लगा पाते हैं!-
हमारी दौलत का अंदाजा तुम क्या लगाओगे जनाब,
जेब खाली रखते हैं अपनी, पर दिल से खर्च करने का शौक हैं....!-