आंसुओं के सफ़र का
आंखों से गुजरकर गालों तक ही
मंजिल का रास्ता जो ठहरा था...!!!-
मेरी बेइंतेहा मोहब्बत को ...
प्रीत तुम्हारे ही नाम होना था...-
मोहब्बत में हम जैसों का
हमारे दिल से खेलें वो जिन्हें गुमान पैसों का
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पड़ी क्या जरूरत घड़ी 'दो' घड़ी की
मोहब्बत की राहों में 'राहत' बड़ी थी
गुज़रना जो चाहे हर इक 'राह' इसकी
मुकरने की आदत भी 'आफत' बड़ी थी
शिकन को जरूरी 'जतन' ज़िंदगी ये
दिलासे को पल 'चार' मोहलत खड़ी थी
फ़रेबी समझकर करे जो 'मोहब्बत'
उसे क्या दिलासे के झूठी पड़ी थी
भुगत जो रहा है वो 'अंजाम' जाने
तलब जाम होठो की 'कीमत' बड़ी थी
वही वो 'नज़र' में वही 'दूर' भी है
नज़र दूर जो इक 'नज़र' से लड़ी थी-
हमारी काबिलियत के भी क्या कहने...
हम इश्क़ से अनजान हैं,
फिर भी इश्क़ का अंजाम बता सकते हैं...-
Ye ishq h, badnaam hona hi tha
Zamana katil h, ishq ka
Katl-e-aam hona hi tha
AansuOñ ko chhupane ki
koshish jo ki thi
hoñtO pr muskan hona hi tha
Jo nazar humne
ek bewafa se milayi thi
Ye drd, ye anjaam hona hi tha-
पहले " आप ".........
उसके बाद " तुम ".......
फिर " कौन हो बे "......
यही अंजाम होना था हमारे प्यार का ।।🙄😁-