ख़्वाब तो उनके भी अधूरे थे,
जो कर रहे दूसरों के पूरे थे ।
ज़िम्मेदारियों का वज़न ही कुछ ऐसा है,
जिस तरह तराज़ू खुद का वज़न नहीं तोल सका,
उसी तरह ज़िम्मेदारियों के घेरे में
खुद का ख्वाब कभी मुकम्मल ना हो सका ।-
सपनो की बस्ती में, हकीकत से क्या राब्ता।
कागज की कश्ती से, साहिल ढूंढे अब रास्ता।
किताबों की हस्ती से, जोडा खुदका ये वास्ता।
खेलने की मस्ती में, मासूमियत का भी वास था।
खुली जो आँखे, सामने जिम्मेदारी का भंडार था।
रूबरू तो हुए सबसे, मगर खो गया एहसास था।-
✍️अकेला राही🚶♂️
अकेला राही चल रहा है।
वक़्त की राह पर
आसमा के नीचे
कोई बंदिशें ना हों डर रहा है
अकेला राही चल रहा है।
रेत पे सहज गांव को
धूप में लाने छांव को
सांय सांय सी पवन चले
उधर ही बेखौफ बढ़ रहा है,
अकेला राही चल रहा है।
वक़्त की मांग पर
बुलंदियों को छूने को
इस धरा पे विधमान
जग के ठोस पहाड़ से सूर्य सा उग रहा है,
अकेला राही चल रहा है।
बेफिक्र है लकीरों से
किस्मत भी उसे मोड़ना है
कर नहीं सकता कुछ
ये भ्रम भी उसको तोड़ना है
साथ देगा वो खुदा जो छांव देने झुक रहा है,
अकेला राही चल रहा है।
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कंधों पर उम्मीदों का एक बोझ है साहब,,,
हार जाता हूं हर बार, पर जीतना एक रोज है....!!!!!!-
Zimmedariyan kya utha li maine
Log mujhe meri umar se bdaa
Smjh baithe-
Kamzor hote hain
Wo insaan..
Jo zimmedariyon se zyada
Mohobbat ko ehmiyat dete hain...!!!-
Aankh Nam Thi Ro Raha Tha Dil
Lab Magar Khamosh Tha
Muskura Kar Sari Khushiyan
Chhor Kar Bas Chal Diya-
J͟͟I͟͟M͟͟M͟͟E͟͟D͟͟A͟͟R͟͟I͟͟Y͟͟A͟͟
जिम्मेदारियां bin kahe aayi hai apna pata leke, na jaane kis mood par jane ki aash hai......
Junoon sa rang leke aayi hai yeh जिम्मेदारियां aapna bhoj liyee,
bachpana pigal sa gaya iske saaye mein...
Mehnat ka nasha hai yeh जिम्मेदारियों ka daur, bachpana chinane ki raah hai yeh जिम्मेदारियों ka daur.....-
जिम्मेदारी के बोझ ने कुछ ऐसे दिन भी दिखाए हैं
सालों तक त्योहार माँ ने एक ही साड़ी में बिताए हैं।-