Sagar Agrawal   (SaGaR AgRaWaL)
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मैं खुद के बारे में क्या लिखूं साहब,,,
मैं तो खुद किसी और के द्वारा लिखा गया हूं...!!!!!!
Joined 18 April 2020


मैं खुद के बारे में क्या लिखूं साहब,,,
मैं तो खुद किसी और के द्वारा लिखा गया हूं...!!!!!!
Joined 18 April 2020
8 HOURS AGO

हुई है एक हार कुछ इस तरह साहब,
कि जीतने का कुछ भी अब मकसद न रहा...!!!

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YESTERDAY AT 10:44

बना लिया घर खामोशी के बीच में ही साहब,
शोर से अब कोई शिकायत बाकी नहीं रही...!!!

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29 APR AT 20:08

खामोशी ओढ़ कर निकले थे सफर में साहब,
लौटे तो अपनी ही आवाज अजनबी लगने लगी...!!!

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14 APR AT 15:13

रोज यूं खुद को समेटता ही रह जाऊंगा,
मैं मुसाफिर किसी दिन सब छोड़ के चला जाऊंगा..!!!

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11 APR AT 14:14

होता है मुश्किल उस दरवाजे पर दस्तक देना साहब,
चाभियां जिसकी कभी आपके पास ही हुआ करती थीं...!!!

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9 APR AT 12:00

शोर सुनने का हौंसला नहीं साहब,
और खामोशी भी अब बोझ लगती है...!!!

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30 MAR AT 13:21

आईने के सामने खड़ा मैं, अब वो भी मुझपे हंसता है,
खुद तो पूरा टूट चुका मैं, और आईने के टूटने से डरता है...!!!

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20 MAR AT 19:38

There is this heavy emptiness inside me, like i am missing a part of myself that used to make me feel alive.
It's like i am watching life happening from a distance, and even the good stuff doesn't really hit me.
Everything kind of slips away and it's frustrating.
Not feeling like everything is tough - It's like i am a ghost in my own life.

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14 MAR AT 11:58

रंग भी वही है और त्यौहार भी वही है,
बस हम जो थे, हम अब वो नहीं हैं....!!!!

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13 MAR AT 12:49

अंधेरे में कहीं गुम हो गया है वो,
तलाश में जिसके उजाले निकले हैं...!!!

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