हुई है एक हार कुछ इस तरह साहब,
कि जीतने का कुछ भी अब मकसद न रहा...!!!-
मैं तो खुद किसी और के द्वारा लिखा गया हूं...!!!!!!
बना लिया घर खामोशी के बीच में ही साहब,
शोर से अब कोई शिकायत बाकी नहीं रही...!!!-
खामोशी ओढ़ कर निकले थे सफर में साहब,
लौटे तो अपनी ही आवाज अजनबी लगने लगी...!!!-
रोज यूं खुद को समेटता ही रह जाऊंगा,
मैं मुसाफिर किसी दिन सब छोड़ के चला जाऊंगा..!!!-
होता है मुश्किल उस दरवाजे पर दस्तक देना साहब,
चाभियां जिसकी कभी आपके पास ही हुआ करती थीं...!!!-
आईने के सामने खड़ा मैं, अब वो भी मुझपे हंसता है,
खुद तो पूरा टूट चुका मैं, और आईने के टूटने से डरता है...!!!-
There is this heavy emptiness inside me, like i am missing a part of myself that used to make me feel alive.
It's like i am watching life happening from a distance, and even the good stuff doesn't really hit me.
Everything kind of slips away and it's frustrating.
Not feeling like everything is tough - It's like i am a ghost in my own life.-
रंग भी वही है और त्यौहार भी वही है,
बस हम जो थे, हम अब वो नहीं हैं....!!!!-
अंधेरे में कहीं गुम हो गया है वो,
तलाश में जिसके उजाले निकले हैं...!!!-