नाज़ कुरैशी   (Naaz ki qalam ❣️)
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Joined 30 August 2020


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मर्द के द्वारा अपनी पसंदीदा स्त्री को दिए गए 🌻
अनमोल पुष्प भी महंगे बुके से कम नहीं होते 🌻

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दोस्त वो होता है , जो आपके साथ खड़ा रहे '
आपके मुश्किल वक़्त में आपके साथ डटा रहे !!

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मर्द अगर प्रेम में पड़ जाए
फ़िर वो स्त्री के जूते उतारने
और पहनाने से भी गुरेज़ नहीं करता 🌻

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ओये सुनो ना प्रियतम मेरे '
तोड़कर वो पुष्प करदो ना श्रृंगार मेरे केशों का ..!!

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हो जाए जो वस्ल तुमसे आज की शब '
लिपट जाए सुकून मुझसे आज की शब

मेरा यार आया है मिलने मुझसे आज की शब
होती नहीं बर्दाश्त मुझसे मसाफ़ात आज की शब

क्या दूँ बुलावा तुमको आज की शब
बिन कहे समझ जाओ सब आज की शब

हो जाए जो वस्ल तुमसे आज की शब
लिपट जाए सुकून मुझसे आज की शब ;



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अपने अहं में वो चूर हो गई इतना
सो उसने कह दिया उसे अब किसी की
ज़रूरत नहीं है '

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बैंड'डेज सिर्फ़ घाव भर सकते हैं '
रिश्तों में आई दरारों को नहीं भर सकते हैं "

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आज मेरी फहरिस्त में जुड़ गया इक अदू नया '
अब कैसे होगी भरपाई टूटते मरासिम की ;

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भावनाएं जब आहत होती हैं '
नैना ही नहीं हृदय भी अश्रु बहाता है

सीमाएँ लांघ जाते हैं लोग अपशब्दों की
झाँकते नहीं अपने भीतर के पाप को ;

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बद'हवास हो जाता हूँ देख कर तुझको '
क्या तिरे पास मिरा इलाज नहीं कोई ||

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