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धीरे धीरे नैय्या डोले
हौले हौले मनवा बोले
लहरों के संग होले
ओ नांवरी...
धीमे धीमे पूर्वा गाए
मद्धम मद्धम मेघ छाए
भंवर कोई पड ना जाए
ओ सांवरी...
भीनी भीनी खुशबू जागे
झीनी झीनी चन्दन लागे
मन कस्तूरी पीछे भागे
ओ छांवरी...
झलकी झलकी हवा महके
ढलकी ढलकी रैना बहके
हल्की हल्की आग दहके
ओ बांवरी...-
the moon has absorbed
all those conversations held
in dark balcony-
ये बेबस आँखें
रातों में अक्सर
तुम्हे ढूँढ़ा करती हैं,
काश...
इस दुनिया में
हर जगह बस
तुम ही तुम होते...
(see caption)-
एक कुर्सी की लड़ाई में,
ना जाने कितनी अर्थियां उठेगी,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और मुर्दा घर में तुम ,
एक संख्या बनकर रह जाओगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (१)
अपनी प्रतिभा को बढ़ाने में,
ना जाने कितनी भीड़ बढ़ेगी,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और अस्पताल में तुम,
एक बिस्तर के लिए तड़पोगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (२)
सत्ता की इस दौड़ में,
ना जाने कितने परिवार टूटेंगे,
जब खत्म होगा खेल चुनाव का
और वजह जब तुम
इन जानहानि की पूछोगे,
तब ये नेता तुम्हें दोषी ठहरा देंगे (३)
अभी भी वक्त है संभल जाओ मित्रो,
जीत जाएगा कुर्सी कोई,
जीत जाएगा राज्य कोई,
कौन लेगा ज़िम्मेदारी उस जनता की
हार गए जो सांसे अपनी? (४)-
The hearts cannot be blamed
if they choose to stay untamed,
for there are stories left to be heard
and joys left to be discovered,
for there are days left to be filled
and dreams left to be fulfilled.-
पल्लू में अपने तूफ़ान बांधती थी
जानता था मैं भी
कि वो मेरे सारे राज़ जानती थी |
( Read in caption )
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