Sakhi Bansal❦   (Sakhi🍂)
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Joined 14 January 2019


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Joined 14 January 2019
11 APR AT 6:42

उसके चेहरे पर इस कदर नूर था
उसकी यादों में रोना मंजूर था
बेवफा भी नही कह सकते हम उसको
मोहब्बत हमने की थी, वो तो बेकसूर था

सास भी तो तुझे पाने का फ़ितूर था
वो भी तेरी मोहब्बत में मुक्ताला और चूर था
ऐब थे कितने उसमे, अना थी, गुरूर था
जालिम थी वो, उसे भी कब मोहब्बत का शु'ऊर था

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11 APR AT 5:21

रूह बेचैन है उसे छू लेने भर को...
खुदा मुझे उसके कमरे की हवा बना दे...
उसके दरीचो से आती खुशबू कर दे...
उसके बदन को भिगोती बारिश में बदल दे...
और नही तो उसके पाओ तले की मिट्टी कर डाल...

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6 APR AT 1:22

हिज्र जलते रहे, राख होते रहे...
वस्ल बुझते रहे, ख़ाक होते रहे...
इल्ज़ाम लगते रहे, बे-बाक होते रहे...
तुझसे लिपटे रहे, नापाक होते रहे...

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3 APR AT 1:08

न आया था, ना आऊंगा,
वादा नहीं तोड़ा
ख़लवत में भी तूने मुझे,
तन्हा नहीं छोड़ा
मुसलसल तू मुझसे मिलती रही,
ज्यादा, कभी थोड़ा
जो ईद को पहना था,
पहन फ़िर वही जोड़ा
मेरी रुखसती है आज,
मुझे दे दे बिछोड़ा

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29 MAR AT 15:22

जिसके दिल में दर्द नहीं है
वो दिल बिलकुल खाली है
हर कोई ढूंढ रहा है खुद को
हर दिल एक सवाली है...

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15 FEB AT 1:44

तू कतरा कतरा करार का
तू ज़र्रा ज़र्रा शरार का
तेरे जिस्म से मुझे नवाज़ दे
कुछ पास रख...
शब-ए-बे-क़रार का

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29 JAN AT 0:33

मैं तेरी यादों में खो जाता हूं
कोहरे कि चादर में सो जाता हूं
कब्र पर तेरी रोज़ जाता हूं
चेहरे को आसूं से धो आता हूं

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22 JAN AT 15:59

जब राम से नयन मिलाए
देखा तीन लोक समाए
मेरी अंखियां नीर बहाएं
मेरे प्रभु श्री राम घर आए

कैसा मोहक रूप सजा
सबसे ऊंची मेरे राम की ध्वजा
चहूं और यही डंका बजा
घर लौटा जिसने राज्य को तजा

सोने चांदी से सजाया तपस्वी को
रूप ऐसा चढ़ा राम तेजस्वी को
तन मन अर्पित हो ऐसे ओजस्वी को
मन मन्दिर में रखूंगी राम मनस्वी को

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13 JAN AT 11:05

दो किनारे, इक नदी के, साथ चलना है
कागज़ी हैं, कश्तियां सब, अंजाम गलना है
तुमको मुझमें, मुझको तुम्मे, ऐसे घुलना है
मैं नहीं मैं, तुम नहीं तुम, कैसी तुलना है
बारिशों में, आंसुओं को, अबके धुलना है
मन अनोखे, तन झरोंखे, सबको खुलना है
आख़री, एक दूसरे को, फ़िर से छलना है
हूं निशा, तुम सूर्य हो, मुझको तो ढलना है
फ़िर से कुरते, पर तुम्हारे, बटन सिलना है
फ़िर वही मैं, फ़िर वही तुम, फ़िर से मिलना है
फ़ूल जो है, प्रेम का, इसको मसलना है
हूं चिता, तुम आग हो, बस देह जलना है
राख हूं, गंगा बहा दो, अब निकलना है
फ़िर मिलूंगी, राह तकना, तन बदलना है

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27 DEC 2023 AT 7:51

खटखटाता रहा
कोई रात भर गुनगुनाता रहा
वो देता रहा बस दुहाई कोई
वो इक बेवफा को बुलाता रहा

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