दो किनारे, इक नदी के, साथ चलना है
कागज़ी हैं, कश्तियां सब, अंजाम गलना है
तुमको मुझमें, मुझको तुम्मे, ऐसे घुलना है
मैं नहीं मैं, तुम नहीं तुम, कैसी तुलना है
बारिशों में, आंसुओं को, अबके धुलना है
मन अनोखे, तन झरोंखे, सबको खुलना है
आख़री, एक दूसरे को, फ़िर से छलना है
हूं निशा, तुम सूर्य हो, मुझको तो ढलना है
फ़िर से कुरते, पर तुम्हारे, बटन सिलना है
फ़िर वही मैं, फ़िर वही तुम, फ़िर से मिलना है
फ़ूल जो है, प्रेम का, इसको मसलना है
हूं चिता, तुम आग हो, बस देह जलना है
राख हूं, गंगा बहा दो, अब निकलना है
फ़िर मिलूंगी, राह तकना, तन बदलना है
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