कभी जो ठहरो तो, बताऊँ हालात अपने
दर्द में लिपटी, जफ़ाओं की रात अपने
बेरहम वक़्त, और लोगों ने भी सितम ढाये
कैस दिखाऊँ, नासूर से जज़्बात अपने
दो पल के मुसर्रत के लिये सब आये क़रीबा
हमनें जान मुहब्बत, सौंप दिया एहसास अपने
हमने था सोचा की महफ़ूज़ हैं, पनाहों में उनकी
ना इल्म था, शौतान बैठा है लगाए घात अपने
मर गयी वो,जो खुल के जिया करती थी ज़िंदगी
अब तो फ़क़त बैठ के, देखती है लाश अपने-
Us yateem ke dil me kitna gum umadta hoga,
jb koi maa apne bacche se pyar krti hogi😓,
Us widhwa ka kitni bar toot'ta hoga dil
jb koi suhagan singar krti hogi😓
उस यतीम के दिल में कितना गम उमङता होगा,
जब कोई माँ अपने बच्चे से प्यार करती होगी,
उस विधवा का कितनी बार टूटता होगा दिल,
जब कोई सुहागन ॠंगार करती होगी।-
Ek nanhi pari ki baaten...
Pahle eid me ammi kahti thi
Abbu shahar me hain,job se chhuti
nahi mili Hogi,
eid baad ayenge,
magar ab Ammi kahti hai
Abbu Allah pak ke
Paas chale gaye ye bhi nahi batati
Kab lautenge...-
ईद मुबारक
फिर से सभी के चेहरों पर मुस्कान आने वाली है
सुना है ख़ुशियाँ लेके अपने साथ ईद आने वाली है
रखना सभी का ख़याल बांटना सभी को ईदी तुम
जो है मुफ़लिस उनके घर भी ईद आने वाली है
मिलना सभी से ईद गले लग लग कर ईदगाह में
सेवंईयों की देना सभी को दावत ईद आने वाली है
रखना यतीमों के सर पर हाथ दिलाना नये कपड़े
है नहीं साया बाप का उन पर ईद आने वाली है
ना करना मायूस तुम अपने किसी पड़ोसी को
तुम उल्फ़त बांटना सभी को ईद आने वाली है
तुम जाना सभी रिश्तेदारों के घर लेना दुआएँ उनसे
लेकर ईदी सबसे देना मुबारकबाद ईद आने वाली है
कितना ख़याल था हामिद को अपनी दादी का
लेकर चिमटा हाथ जलने से बचाये ईद आने वाली है
कितना ख़याल रखते थे हुज़ूर आप यतीमों का उबैद
बिठा कर काँधे पर ईदगाह ले जाते ईद आने वाली है-
Gham bicharne ka kia hota hai koi yateem bache se poche sahib,
Tumhain aur mujhe toh muhabat se fursat hee nahen milti.
غم بچھڑنے کا کیا ہوتا ہے کوئی یتیم بچے سے پوچھے صاحب،
تمہیں اور مجھے تو محبت سے فرصت ہی نہیں ملتی۔
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ہر شخص کاسہ محبت لیے پھر رہا ہے
ساقی ہر دہلیز پر محبت کو یتیم دیکھا
Har shakhs kasa e mohabbat liay phir rha ha
saqi har delheez par mohabbat ko yateem daikha-
Beshaq is liye toh
Sb Ek Dusre se Daga
karte h taki
shayari Hamare
Jeene ki wajah
banjay...-
घबराता हुआ वो बच्चा था एक सड़क पर, जैसे सहम रहा हो रात के अंधेरे को देख कर, बहुत सी बातें भी थी उसके जेहन में यूँ बार बार देख रहा था वो आसमान की तरफ़, ठंड झांक रही थी उसके फटे कपड़ों में, बहुत थरथरा रहा था अपने जिस्म को सिकोड़ कर, तलाश रहा था अपने माँ बाप का साया, अखिर था वो यतीम बेसहारा राहों पर!
गुज़ारिश है कि यतीम बच्चों और बेसहारा लोगों की मदद जरूर करें 🙏-
उनकी मर्जी को पाते पाते
हम खुद को भुला बैठे है।
ना जाने खुद को।किस
तमन्ना की सजा दिए बैठे है
एक सहरा था जहां
कोई पानी न था
बचपन भी ऐसे गुजरा
जहां मनमानी न था
कही किसी भीड़ में
तन्हा अकेला हो गया
मै यतीम था और
यातीमो में खो गया
गम बहुत बड़ा है,
मेरे सबर से नही
हर बार मुझे ये
बात कौन समझाएगा
ये सब तो मुश्किलों
के बिलकुल कच्चे है
कोई मेरा साथ
भला क्या निभाएगा
Nargis khatoon
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ये जो फुटपाथ पर रहते हैं ना, इन्हें यतीम न समझो।।
कभी भूख इन्हें पालती है तो कभी ये भूख को।।-