क्यों हम उस शख़्स को उजलत में गँवा देते हैं
जिसके होने से सँवर सकती थी दुनियाँ अपनी-
(🇮🇳 🙇)
बे-बाक ख़याली फ़न मेरा , हक़-गोई मेरा आइन है,
मैं आशिक़ लौह-ओ-क़लम का ह... read more
Having a person from your past constantly popping back into your life is like that one song that just won't stop playing on shuffle mode.
No matter how hard you skip, your life's DJ seems to be hell-bent on making you groove to their tune.-
"दुनिया की ऐसी कोई ज़बान नही है, जो एक पतंगे को ये समझा सके कि दीये की जलती हुई लौ जानलेवा है।"
-
मोहब्बत की पहली और सबसे बड़ी अलामत ही यही है कि इसकी शिद्दत को ख़त्म नही किया जा सकता।
आगे चल कर ये मोहब्बत जुनून में या फिर नफ़रत में भी तब्दील हो सकती है लेकिन इसकी शिद्दत उम्र भर किसी तौर पर ख़त्म नही की जा सकती।
इसलिए जब कोई ये कहे, कि अब उसे फ़र्क़ नही पड़ता तो समझ लेना कि झूट 'शिद्दत' से बोला गया है।— % &-
जिस्म की क़ैद में है ज़ात अपनी
बर्ग-ए-गुल सी लगे सबात अपनी
वादा-ए-इश्क़ दायमी है तो फिर
कैसे कह दूँ तुझे हयात अपनी-
अक़्ल ने लाख तुझे बे-महर कहा लेकिन
दिल ने हर बार यही बात मुल्तवी कर दी-
यहीँ गीता भी रखते हैं, यहीँ क़ुरआन रखते हैं
यहाँ की ख़ाक के बदले हम अपनी जान रखते हैं
ज़ुबां हिन्दी हो,उर्दू हो या मज़हब हिन्दू-मुस्लिम हो
दिलों में हम मगर महफूज़ हिन्दुस्तान रखते हैं-
क्या हुआ तुम पे हम ज़ाहिर न हुए
क्या हुआ इश्क़ में शाइर न हुए
ये भी क्या कम है कि इमरोज़ हैं हम
क्या हुआ हम अगर साहिर न हुए-
तो भई बात ये है, छोटे, कि शायर यहां बहुत हैं इस प्लेटफार्म पर,
अच्छे भी हैं, कुछ नाम के भी हैं, और कुछ सच में कलाम और क़लम का फ़न रखते हैं।
मेरे लिए तुम उन कुछ फ़नकारों में से एक हो।
तुम्हारी उम्र को देखा जाए तो कोई भी
यक़ीन नही करेगा कि एक नई उम्र का लड़का इतना गहरा और इतना शानदार लिख सकता है।
वैसे पहले मुझे भी यही लगता था😂।
इसी तरह लिखते रहो जब भी वक़्त मिले,
और बाकी भाई तो तुम हो ही छोटे।❤️
-