Deep Thoughts   (Saziya)
1.1k Followers · 800 Following

read more
Joined 3 January 2021


read more
Joined 3 January 2021
4 OCT 2024 AT 12:16

ना दो अज़िय्यत इस कदर कि ग़म उसे अज़ीज़ बन जाए
किसी को यूं ना सताओ कि वो ज़ेहनी मरीज़ बन जाए

-


25 SEP 2024 AT 20:04

जो लोग खुशियों से हसद करते हैं
वही हैं जो नफ़रतो में सफ़र करते हैं

नहीं देखे जाते इनसे औरों के सुकूं
महज़ चालाकियों में बसर करते हैं

-


24 SEP 2024 AT 9:10

Mayassar ho mahaz ik khwaab si ho
Hota nahi deedar kya hizaab si ho

Hai bemisal iqhlaas aur salaahiyat usme
Mahakta hai kirdaar jaise gulaab si ho

Rehti hai maa'ruuf khud Mein hi behisaab
Har koi padh le usko jaise khuli kitaab si ho

-


30 JUN 2024 AT 13:41

किसी. के सुकून को यूं दुश्वार ना कर,
कि ठहर जा आख़िरत बर्बाद ना कर,

रह जाएगा तन्हा कब्र में इस उम्र के बाद,
अपनी ख़ल्वत-गाह से खुदको बेज़ार ना कर!

-


3 APR 2024 AT 10:11

रेज़ा रेज़ा बिखर रहा है ज़ईफ़ लहजा ,
कि बेख़बर हैं सुकून-ए-क़ल्ब से इस कदर,
दे दे तेरी ख़ास सआदत ऐ मेरे रब,
कि मिल जाये बस तू ही तू हर तरफ़ !

-


11 MAR 2024 AT 12:40

और सारी उम्र यूंही गुजार कर ग़फ़लत-शि'आरी में,
तकदीर को देते रहे अफ़सुर्दगी का इल्ज़ाम हर दफ़ा!

-


5 MAR 2024 AT 12:56

Kaise banau mai duniya ke mutabik duniyavi lahza
Mai Raabte rakhta hu bas us rab-e-qaainat se jise
duniya ki rangeeniyo me gum log hargiz azeez nahi.

-


28 DEC 2023 AT 16:34

ये मिला वो गया कुछ मिलते मिलते रह गया,
जिसे सब मिला वो भी कह रहा,
मैं अधूरा यहाँ हूं जी रहा,
कैसा निज़ाम हर तरफ़ ये क्या सब चल रहा,
उलझनों की क़ैद में हर शख्स यहां पल रहा,

हैं ने'मतें हज़ार भी,
और शिकवे बेशुमार भी,
सब बेख़बर हर उस लम्हें से,
जो बग़ैर मुसीबत के गुज़र गया,

था कभी वो हाल भी, भूख थी और प्यास भी,
ना था निवाला हाथ में, और दिल से शुक्रगुज़ार भी,
ना थी दुनिया की रंगीनियाँ,
ना था बेसुकूनी का हाल भी,

चला गया वो ज़माना अब,
जहां थे नफ़रतों से बेगाने सब,
अब जो गफलतों में है जी रहे,
क्या होगी उनकी निजात भी,

ये क़ीमती लम्हें ना आयेंगे फ़िर,
किसे ख़बर ये वक्त मुसलसल गुज़र रहा,
कैसा निज़ाम हर तरफ़ ये क्या सब चल रहा,
उलझनों की क़ैद में हर शख्स यहां पल रहा,

-


15 DEC 2023 AT 16:50

ना हो सकें जो पूरे वो ख्वाब भूल जाना,
हैं जो तुम्हें मयस्सर वो ने'मत याद रखना!

जो ख्यालों में हों उलझे तुम रहनुमाई करना,
बस ग़म को भूल जाना तुम अज्र याद रखना!

हर एक की यहां पर तुम तल्खी भूल जाना,
बढ़ते हों जिनसे ताल्लुक वो बातें याद रखना!

ख़ुश हैं जो अब ये चेहरे तुम उसको भूल जाना,
वहाँ थे कभी जो आँसू वो आँसू याद रखना!

हैं अब दिखावे दुनिया की चाहत भूल जाना,
मिले हैं जो ख़ुदा से वो फ़र्ज़ याद रखना!

ना हो सकें जो पूरे वो ख्वाब भूल जाना,
हैं जो तुम्हें मयस्सर वो ने'मत याद रखना!

-


26 JUL 2023 AT 14:41

और फिर समझदारी की इन्तहा कुछ यूं हुई कि,
कोई दुःख भी दे तो, मुझे मज़बूरी नजर आती है!

-


Fetching Deep Thoughts Quotes