Deep Thoughts   (Saziya)
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Joined 3 January 2021


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9 JUN AT 12:26

Ho kirdaar mein wafa ki khushbu toh aitbaar kijiyega
Gar ho khyaal mein jara bhi milawat toh inkaar kijiyega
Waise toh milte nahin zarf se munavvar log jahaa mein
Gar mil jayein toh badi izzat o ehtraam se iqraar kijiyega

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31 MAY AT 18:30

क़ल्ब से मासूम उम्र से दराज़ थीं वो ,
औरों की फ़िक़्र में गुजरता हर इक लम्हा ,
मानो जैसे सारे जहां की ग़म-ख़्वार थीं वो ,
तजुर्बे की खुश्बू से महकती थी बातें उनकी ,
लफ्जों में सादगी लहज़े में सादा मिजाज़ थीं वो,
औरों की अफ़सुर्दगी देख दुआ में वो कसरत उनकी,
यक़ीनन राह–ए–वफ़ा में काबिल–ए–एतबार थीं वो,
झिलमिलाते से वो ख़्वाब कहीं क़ैद थे दिल में उनके,
मग़र फ़िर भी इतनी मुतमइन और ख़ुशगवार थीं वो,
हैरत में रहती हूं मै जमाने की चालाकियां देख कर,
और इसी ज़माने में सब्र की मिसाल थीं वो ✨

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13 MAY AT 12:13

Kuch raaste viranagi ki taraf jate hain
Jahan tanhai dil se istaqbal karti hai !!

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13 MAY AT 10:50

Raaz ko raaz rakhiye ki jarra bhar Khiyaanat na ho,
Wafadar itne rahiye ki khyaal mein bhi milawat na ho 🍂

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4 OCT 2024 AT 12:16

ना दो अज़िय्यत इस कदर कि ग़म उसे अज़ीज़ बन जाए
किसी को यूं ना सताओ कि वो ज़ेहनी मरीज़ बन जाए

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25 SEP 2024 AT 20:04

जो लोग खुशियों से हसद करते हैं
वही हैं जो नफ़रतो में सफ़र करते हैं

नहीं देखे जाते इनसे औरों के सुकूं
महज़ चालाकियों में बसर करते हैं

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24 SEP 2024 AT 9:10

Mayassar ho mahaz ik khwaab si ho
Hota nahi deedar kya hizaab si ho

Hai bemisal iqhlaas aur salaahiyat usme
Mahakta hai kirdaar jaise gulaab si ho

Rehti hai maa'ruuf khud Mein hi behisaab
Har koi padh le usko jaise khuli kitaab si ho

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30 JUN 2024 AT 13:41

किसी. के सुकून को यूं दुश्वार ना कर,
कि ठहर जा आख़िरत बर्बाद ना कर,

रह जाएगा तन्हा कब्र में इस उम्र के बाद,
अपनी ख़ल्वत-गाह से खुदको बेज़ार ना कर!

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3 APR 2024 AT 10:11

रेज़ा रेज़ा बिखर रहा है ज़ईफ़ लहजा ,
कि बेख़बर हैं सुकून-ए-क़ल्ब से इस कदर,
दे दे तेरी ख़ास सआदत ऐ मेरे रब,
कि मिल जाये बस तू ही तू हर तरफ़ !

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11 MAR 2024 AT 12:40

और सारी उम्र यूंही गुजार कर ग़फ़लत-शि'आरी में,
तकदीर को देते रहे अफ़सुर्दगी का इल्ज़ाम हर दफ़ा!

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