राहों में वफा का दरिया था
रुख़्सार पे आँसू ठहरा था
हम महफ़िल मे भी तन्हा थे
अल्फाज़ो पे भी पहरा था
ये दर्द. दिखाए हम किसको
ये ज़ख्म बड़ा ही गहरा था
प्यासे को ख्वाहिश समंदर की
और बींच भंवर सिर्फ सहरा था
रूह को तस्कीन मुमकिन नही
हर सम्त से कोई ये कह रहा था-
💫💫💫💫💫SanairA(writes)💫💫💫💫💫
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ठहर के जब हम, आसमाँ देखते हैं
फिर पलट कर, सारा जहाँ देखते हैं
नही मिलता मुखलिस, कोई इंसा यहाँ
पर ज़र्रे - ज़र्रे में उसके निशाँ देखते हैं
ढूंढ़ते हैं जब भी, हम ज़माने में ऐब
तो रुक के ज़रा फिर, आईना देखते हैं
हैं सबको दिखाते, हम बहोत हैं अमी'न
पर जो उसपे है ज़ाहिर, वो खताँ देखते हैं
क़दर ने'अमतों की, कभी की ना हमने
उजड़ खुद. के हाथों , खिज़ाँ देखते हैं
हकीकत मे रब से भी, मुखलिस नहीं हम
और लोगों से, उम्मीद-ए -वफा देखते हैं ।-
है दीन हमारा ,और ईमान हया है
है महफ़िल की अज़मत और शान हया है
खुशबु जिसकी फैले हर सिम्त चमन में
ये खालिक़-ए-मुहम्मद का फरमान हया है
नहीं हुक्म कि तुम घूमों, बेपर्दाह सर-ए-बज़ार
हाँ इल्म से कर सकती हो, तुम दुनिया में बहोत नाम
पर क़िरदार की अपनी एक शिनाख़्त है आ'ला
और याद रखो इज़्ज़त का नाम हया है
है दीन हमारा................
करो पैदा वक़ार इतना खुद में अये बिन्त-ए-हव्वा
जो गुज़रे कोई राह से तो झुक जाये उसकी मिज़ह
नहीं क़ैद में रखा है इस्लाम ने तुमको
बस ये जान लो गौहर की पहचान हया है
है दीन हमारा.....
है अज़ीज़ तर जो रब को वो नूर -ए- ज़न है
है रूह की ठंडक और नूर-ए-चश्म है
मरयम और आयशा की मान हया है
है फातिमा का पैकर और जान हया है
है दीन हमारा....-
Khwab - khwab hi rha, Unkahe Jazbaat liye...
Waqt ne yun Sitam kiya, Pal me sb Kirchi huye...🍂-
💠(हम तुमसे मिलेंगे)💠
सुनो,
नहीं सोचना हम जुदा हो गये हैं तुमसे
हर राह, हर मोड़ ,पे हम तुमसे मिलेंगे
तुम जब भी याद करोगे, बातें माज़ी की
धुआँ बन के फिर, हम तुमसे मिलेंगे
तुम जो महसूस करोगे,साँसों के लम्स को
हवा बन के फिर, हम तुमसे मिलेंगे
कभी जो दर्द उतरेगा रूह में तुम्हारे
तुम्हारे लहू में दवा बन के हम तुमसे मिलेंगे
नहीं कहेंगे हम, मुकम्मल साथ हैं तुम्हारे
पर हो सहरा तो, साया बन हम तुमसे मिलेंगे
जब भी तुम महसूस करोगे, हिद्दत इश्क़ की
दुआ बन कर फिर, हम तुमसे मिलेंगे-
ख़फ़ा जो हम हुए तो तुमने, कौन सा मना लिया
मर्ज़ी जब भी हुयी आके,हक़ अपना जता लिया
तुम तो ज़र्द पत्ते थे, आये और बिखर गये
और हमने फूल समझ के,उसको भी सजा लिया-
Main ishq tamasha hoon..
Ya koi.......... pyasa hoon.!!
Sb ehsaas base mujhme..
Main itna tarasha hoon..!!
Har she hai.....mujhe hasil..
Fir bhi.... haraasaa hoon..!!
Ilzaam lge......... mujhe pe
Main faqt ek dilasa hoon..!!
Hr shakhs.... mujhe chahe
Fir bhi.......ruhasa hoon...!!
Azeez tar hoon........ sb me..
Fir kyu bewafa sa hoon...??-
बड़ी बेरंग है दुनिया, ज़रा सा रंग भर दो ना
बड़े तन्हा से रहते हैं, किसी को संग कर दो ना
क़ारी ज़ख़्म की सीलन,रह-रह के रिसते हैं
कि नासूरों सी यादों को, ज़रा सा बंद कर दो ना
बड़ी बेरंग है दुनिया.............
जिसे कोख मे रखा,निवाला हाथों से खिलाया था
जिसे तपती हुयी सेहरा के, हर शे से बचाया था
उसी ने छोड़ दिया बेआसरा ,कोई तंज कर दो ना
दो कोई और ग़म आ'ला ,इसे तो कम कर दो ना
बड़ी बेरंग दुनिया.................
जिसकी खुशियों की क़ीमत,चुकायी अपने अश्क़ो से
दुआ गो है ये दिल फिर भी ,इसे तुम ख़म कर दो ना
बड़ी बेरंग है दुनिया......
क़ासीर अब है जीना, इस मसनूई ख़िल्क़त में
सुना के नवेद-ए-मर्ग, किसी तो सम्त कर दो ना
बड़ी बेरंग है दुनिया.......-
Dard itna hai ki,
Bikhar jayenge toot ke,,,,
Aur sabr itna hai ki,
Muskurahat jate hi nhi Labo se..!!-
Thahre thahre lamho me,
ek roz sunahre raat huye...
Fir agyaron ki mhfil me ,
kuch apno se mulaqaat huye..
Kuch lafz shanasayi thahre ,
kuch qalam ki ghera bandi thi..
Kuch dilfareb ehsaso se ,
mukammal sare jazbaat huye...
The hr ek hi anjane sabhi se ,
fir bhi dil ka taar juda...
Dheere dheere hr rishte ,
Fir begane se khaas huye...
Khushi huyi ya gham ho koi,
ashq se ankhe nam ho koi...
Sbne milke har pal ko jiya,
ese haseen lmhaat huye....
Mahsus kiya khud ko tanha jb,
ek mhfil hmesha paya sbne...
Khud ka saya chod gya pr ,
sabke saye yaha sath huye...-