बेटी की शादी को देख एक बात याद आती है साहब,,,,
फूल कोई लगाता है और महक किसी और का घर जाता है....!!!!!!-
न जाने यह खुदा की कैसी खुदाई है
खुशी के माहौल में भी जो आँख सबकी भर आई है
संभाले संभलते नहीं जज़्बात जब हो रही एक बेटी की विदाई है
वर्षों से जो थी अपनी पल भर में हुई वो पराई है
लम्हा है वो ऐसा जैसे साँसों की जिस्म से जुदाई है
संभाले संभलते नहीं जज़्बात जब हो रही एक बेटी की विदाई है
नूर थी जिन आँखों का अब उन्हीं की तनहाई है
बाबुल के अँगना से चिड़िया की हो रही रिहाई है
संभाले संभलते नहीं जज़्बात जब हो रही एक बेटी की विदाई है
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Ek Baap Ke Liye Beti Dhan Nahi,
Unki Dharkan Hoti Hain...
Aur Koi Bhi Baap Apne Dharkan Ko,
Khud Se Dur Jaate Dekh,
Kaise Khush Ho Sakta Hain..-
कइसे मइया तोरी कटती है रतिया
है अनजानों बीच अब तोरी बिटिया
काहे हो बाबुल अइसे पल में बिसराया
तेरे कलेजा का टुकड़ा क्यों घर किसी के सजाया
काहे न भइया तुम हमको सताते
करके लड़ाई फिर क्यों न लाड़ लड़ाते
इक पल में रिश्ते सारे हाथों से टूटे
बाबुल, मइया, भइया सब कही दूर छूटे
जाने कौन बैरी किसने रीत बनाई
बिटिया के भाग्य काहे लिखी ये विदाई-
पड़ी है थाप ढ़ोलक पर गूँजती है शहनाई
मंगलगीत मिलकर सब गाते ऐसे खुशियाँ है छाई
हर दिन नई रस्में हर पल नई बातें हर लम्हा सब मुस्कुराते
अरे! मेरे आने की नहीं ये तो विदाई की सौगातें-
मांगती तो हर रोज थी वो अपने पिता से
पर विदाई में
उनके साथ, प्यार और विश्वास से ज्यादा कुछ ना मांग पाई......!-
बेटी बनकर आई हुं मां-बाप के जीवन में..
बसेरा होगा कल मेरा किसी और के आंगन में
क्यूं ये रीत भगवान ने बनाई होगी
लोग कहते है कि आज नहीं तो कल तु पराई होगी
देके जन्म जिन्होंने पाल पोस कर बड़ा किया
एक ही पल में खुद से जुदा किया...-
2 May .......
मेरी life का ऐसा पल ,जो शायद खुशी का भी था और दुख का भी। इस दिन एक घर को छोड़ दूसरे घर के लिए विदा किया गया मुझे।
जिस घर में रही वो अब पराया हो गया ....
ससुराल ही अब से मेरा नया बसेरा हो गया !!-