सुनो.....
अब मेरी तन्हाइयों में मेरे पास मत बैठा करो,
मेरी खामोशियां बहुत बोलने लगी है....
बहुत कुछ सह चुकी हैं ये.....
तुम्हारी सोच से कई ज़्यादा समझ चुकी हैं...!!
कुछ बातें इनकी तुम सुन नहीं पाओगे,
जो सुन भी ली तो मान नहीं पाओगे ....!!
और इनके जितनी ख़ामोशी तुम कभी सह नहीं पाओगे,
क्योंकि अब मेरी खामोशी में तुम, ख़ामोशी नहीं पाओगे!!
इसलिए मेरी तन्हाई को मत छूना तुम,
तुम चाह कर भी इसे चाह नहीं पाओगे!!
और तुम भूल कर भी इन्हें .......
कभी भुला भी नहीं पाओगे ......!!
इतने शोर भरी ख़ामोशी तुम कहीं नहीं पाओगे ...!!
-