Mishthi Sharma   (Mishthi sharma✨🥀)
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Joined 6 February 2021


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7 MAY 2022 AT 12:25

तुम पर दिल का ठहर जाना तो महज़ इत्तेफ़ाक था ,
तुम्हीं पर रुके रहने का इरादा मोहब्बत है !!
🤍🥀

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13 MAR 2022 AT 14:08

मन एक जगह रुक गया अगर
तो वो नज़ारा क्या होगा ?

मन आए ना तुम तक अगर
तुमसे इश्क दोबारा क्या होगा ?

मन भटकना छोड़ दे जिसका
उस मन के मारे का क्या होगा ?

मन बावरा जो समझ गया किसी दिन
तो इस बेचारे का क्या होगा ?

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17 FEB 2022 AT 11:58

सफ़र तुम हो , घर तुम हो !
नज़रिया तुम हो , नज़र तुम हो !
🤍🥀— % &

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1 JAN 2022 AT 20:35


कुछ लम्हों की जिंदगी बस ठहराव होती है ,
प्रेम की फितरत भी ठहराव होती है ,
काश की प्रेमियों और इंसानों की
नियति में भी ठहराव होता !

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24 NOV 2021 AT 14:05

कुछ चीज़ें मौसम जैसे बदल जाती है ,
कुछ चीज़ें मौसम को बदल जाती हैं !!
{Captioned}

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14 OCT 2021 AT 14:52

जैसे सांस कोई चलती है बेहोशी में भी
और ख़्वाब जग रहा होता है नींद में,

जैसे आसमां में चांद करता है अठखेलियां
या पानी छुपा रहता है बादल के भीतर,

जैसे दिल से जुड़े होते हैं एहसास
और ज़हन से ताल्लुक हो यादों का,

जैसे बात कोई जुड़ी हो अल्फाज़ से
और राब्ता होता है जिस्म से रूह का,

"तुम" बस वैसे ही इक एहसास हो,
जो मुझसे दूर भी है और करीब भी !!

अधूरी सी मुकम्मल दास्तां हो तुम,
मेरा मुझसे कोई वास्ता हो "तुम"
हक़ीक़त से परे मेरी कल्पनाओं में भी,
शामिल मेरे राज़दाँ हो तुम ..!!

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19 SEP 2021 AT 22:46

नहीं रहा घूंघट का ज़माना
ना ही नज़रों को शर्म - ओ - लिहाज़ है
रंग नहीं बदलते हैं लोग आजकल
अब तो बस चेहरे पर चेहरा रखने का रिवाज़ है ..!!
.
.
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ये सच को झूठा इंसाफ़ दे देते हैं
सवाल का जवाब सवाल दे देते हैं
मत किया करो इनका यकीन ,
ये चेहरे इंसानियत को मात दे देते हैं ..!!

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1 SEP 2021 AT 21:07

ना धूप ,
ना हवा ,
ना पानी ,
ना मेरा जीवन हो .....

मेरा अस्तित्व ,
मेरा आधार ,
मेरे होने की वजह ,
तुम जैसे मिट्टी हो , मेरे लिए
तुम ही जड़ हो ...!!

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13 AUG 2021 AT 20:31

नफ़रत का मोहब्बत से कोई वास्ता नहीं रहता,
क्या रूठने के बाद किसी से राब्ता नहीं रहता ?

क्यों हो जाते हैं लोग इतने बेबस किसी के लिए,
कि एक दिन उनका खुद से भी कोई वास्ता नहीं रहता ?

लोग बनाते हैं मज़ाक अक्सर किसी के जज्बातों का,
खुशकिस्मत हैं वो जिनका कोई राज़दाँ नहीं रहता !!

तुम मत बहाया करो अब अश्क मेरे सामने,
होती है खुशी भी इनमें, हर आसूं गम का होकर नहीं रहता !!

महफ़िलें तो होती हैं मेरे बाद भी तेरे आंगन में,
नशा क्योंकि शराब में हुआ करता है,बोतल में नहीं रहता ..!!

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7 AUG 2021 AT 20:06

खुद की मौत पर,
खुद के अंदर,
चुपके से ये रोता है !
ना मय्यत सजती,
ना मातम होता,
इसे शमशान भी नहीं नसीब होता है ....

सच में ....ये मरा हुआ मन बहुत बदनसीब होता है !!
( Read in caption )

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