मेरी पेन, मेरी कलम दवात बनोगी क्या,
हो तुमसे,ये सोचना,वो मुलाकात बनोगी क्या।।
कभी मेरी चाय की चुस्की,
कभी मेरे दिल में उठे सवालों का जवाब बनोगी क्या।।
तुझ बिन हम नही वो ख्वाब बनोगी क्या,
कहना है जो तुमसे,वो पहली बात बनोगी क्या।।
कभी मेरी मेरे ही अंदर वो रूह,
तो कभी मुझमें ही मेरी दवात बनोगी क्या।।
मेरी पेन मेरी कलम मेरे सवालात बनोगी क्या,,
मन में जो है हल, उन हलों की सवालात बनोगी क्या।।
कभी मेरा मेरा घर,
तो कभी मेरी वो हवालात बनोगी क्या।।
मेरी पेन, मेरी कलम दवात बनोगी क्या,
कभी मेरी चाय की चुस्की,तो कभी जवाब बनोगी क्या।।
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