तुम भी हम अधूरे से हैं...
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किसी को चांद मिला
किसी को जहान,
मुझे दो पल कि खुशी नहीं
मुझे पूरा आसमान मिला-
तारीफ कैसे करें उनकी आंखों के,
कैदखाने है बिन सलाखों के।।-
मेरी पेन, मेरी कलम दवात बनोगी क्या,
हो तुमसे,ये सोचना,वो मुलाकात बनोगी क्या।।
कभी मेरी चाय की चुस्की,
कभी मेरे दिल में उठे सवालों का जवाब बनोगी क्या।।
तुझ बिन हम नही वो ख्वाब बनोगी क्या,
कहना है जो तुमसे,वो पहली बात बनोगी क्या।।
कभी मेरी मेरे ही अंदर वो रूह,
तो कभी मुझमें ही मेरी दवात बनोगी क्या।।
मेरी पेन मेरी कलम मेरे सवालात बनोगी क्या,,
मन में जो है हल, उन हलों की सवालात बनोगी क्या।।
कभी मेरा मेरा घर,
तो कभी मेरी वो हवालात बनोगी क्या।।
मेरी पेन, मेरी कलम दवात बनोगी क्या,
कभी मेरी चाय की चुस्की,तो कभी जवाब बनोगी क्या।।-
यूँ झरोखे मैं बैठे तुझे ही तकना अब अच्छा नही लगता,
तेरी सूरत पर अब बार, बार तरना अच्छा नही लगता।
तेरे ही आगोश में मिट चला हूँ मैं
मुझे, ये तेरा देख कर इतरना अब अच्छा नही लगता।।-
बड़ी चालाक है ये जिंदगी, जो मुझे नया कल देकर,
अपना आज ये हर रोज छीन लेती है.....-
मेरा मन वैरागी हो चला, कर तुमसे रागी हो चला।।
बेसब्र हैं अब ये हथकड़ियां ,तुमसे ये राजी जो चला।।
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