माना ज़ख्मों से भरी थी तुम्हारी ज़िन्दगी,
तुम्हारे दर्द को कभी ख़ुद से जुदा नहीं समझा।
तुम साथ न हो कर भी साथ हो,
तुम्हारे इश्क़ सा कोई मरहम नहीं देखा।
लोग सच कहते हैं नशा है इश्क़ में
डूबा था कभी, फिर किनारा नहीं देखा
इन्तहा के आगे का सफ़र मुश्किल बहुत है
सुबह तो देखी, अपना सवेरा नहीं देखा
'कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा,
तुम्हारे बाद किसी की तरफ़ नहीं देखा।'
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