Jyoti Shakya   (Sheen)
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Joined 10 August 2018


Joined 10 August 2018
18 SEP 2023 AT 19:16

कभी कभी
लगता है
जैसे त्राण
हो तुम,
और हर पहर
जैसे कोई
त्रासदी!

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13 JUL 2023 AT 18:47

अपने ग़मों के ख़िलाफ़ अर्ज़ी डालूं कैसे,
मेरे हादसों का गवाह कोई है ही नहीं !

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3 MAY 2023 AT 0:26

और कुछ रातें
पारदर्शी होती हैं,
इनके उस पार अतीत
साफ़ नज़र आता है..

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22 MAR 2023 AT 19:46

सालों पहले यहाँ एक
नीम का पेड़ था,
डाली पर जिसकी एक झूला
और कतार में चार बच्चे...

अब यहाँ एक
बड़ा सा पार्क है,
पार्क में अकेली मैं
और कतार में मेरी चार झूले...

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12 JAN 2023 AT 23:36

हाँ वैसे ग़लतियों पे सबकी
मैंने हरदम पर्दा डाला है,
पर जबसे तूने आँखों को चूमा
मैंने ऐनक नहीं लगाया है।

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20 DEC 2022 AT 21:15

क्योंकि तुम्हारे शहर में
डबल-लेन की सड़कें हैं
तुम एक ओर
देखते हो
और कर लेते हो
सड़क पार,

मेरे छोटे शहर में
नहीं है कोई हाईवे
मैं एक ओर देख कर
आगे बढ़ती हूँ
और टकरा जाती हूँ
दूसरी ओर से आती
अपेक्षाओं की गाड़ियों से..

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15 DEC 2022 AT 20:08

सर्द रातों में इतने सादगी भरे आंसू?
ये हरसिंगार भी किसी के प्रेम में होगा!

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5 DEC 2022 AT 21:36

बाद मेरे
तुम्हें ग्लानि
कचोट खाएगी,
प्रेम पर मेरे
तुम्हें संदेह
है तो !

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26 NOV 2022 AT 19:23

तुम्हारे बाद

लोग मेरे alarm से खिसियाते हैं
वो रातों में फ़ोन silent रख के जागना भी बस तुम तक था!

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26 NOV 2022 AT 19:05

तुम्हारे बाद

घर की छत को मुझसे शिकायत है,
वो कोने-कोने में बतियाना भी सिर्फ़ तुम तक था!

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