कभी कभी लगता है जैसे त्राण हो तुम,और हर पहर जैसे कोई त्रासदी! -
कभी कभी लगता है जैसे त्राण हो तुम,और हर पहर जैसे कोई त्रासदी!
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अपने ग़मों के ख़िलाफ़ अर्ज़ी डालूं कैसे,मेरे हादसों का गवाह कोई है ही नहीं ! -
अपने ग़मों के ख़िलाफ़ अर्ज़ी डालूं कैसे,मेरे हादसों का गवाह कोई है ही नहीं !
और कुछ रातें पारदर्शी होती हैं,इनके उस पार अतीत साफ़ नज़र आता है.. -
और कुछ रातें पारदर्शी होती हैं,इनके उस पार अतीत साफ़ नज़र आता है..
सालों पहले यहाँ एक नीम का पेड़ था,डाली पर जिसकी एक झूला और कतार में चार बच्चे...अब यहाँ एक बड़ा सा पार्क है,पार्क में अकेली मैं और कतार में मेरी चार झूले... -
सालों पहले यहाँ एक नीम का पेड़ था,डाली पर जिसकी एक झूला और कतार में चार बच्चे...अब यहाँ एक बड़ा सा पार्क है,पार्क में अकेली मैं और कतार में मेरी चार झूले...
हाँ वैसे ग़लतियों पे सबकीमैंने हरदम पर्दा डाला है,पर जबसे तूने आँखों को चूमा मैंने ऐनक नहीं लगाया है। -
हाँ वैसे ग़लतियों पे सबकीमैंने हरदम पर्दा डाला है,पर जबसे तूने आँखों को चूमा मैंने ऐनक नहीं लगाया है।
क्योंकि तुम्हारे शहर में डबल-लेन की सड़कें हैंतुम एक ओर देखते हो और कर लेते हो सड़क पार,मेरे छोटे शहर में नहीं है कोई हाईवेमैं एक ओर देख कर आगे बढ़ती हूँऔर टकरा जाती हूँ दूसरी ओर से आती अपेक्षाओं की गाड़ियों से.. -
क्योंकि तुम्हारे शहर में डबल-लेन की सड़कें हैंतुम एक ओर देखते हो और कर लेते हो सड़क पार,मेरे छोटे शहर में नहीं है कोई हाईवेमैं एक ओर देख कर आगे बढ़ती हूँऔर टकरा जाती हूँ दूसरी ओर से आती अपेक्षाओं की गाड़ियों से..
सर्द रातों में इतने सादगी भरे आंसू?ये हरसिंगार भी किसी के प्रेम में होगा! -
सर्द रातों में इतने सादगी भरे आंसू?ये हरसिंगार भी किसी के प्रेम में होगा!
बाद मेरेतुम्हें ग्लानिकचोट खाएगी,प्रेम पर मेरेतुम्हें संदेहहै तो ! -
बाद मेरेतुम्हें ग्लानिकचोट खाएगी,प्रेम पर मेरेतुम्हें संदेहहै तो !
तुम्हारे बादलोग मेरे alarm से खिसियाते हैंवो रातों में फ़ोन silent रख के जागना भी बस तुम तक था! -
तुम्हारे बादलोग मेरे alarm से खिसियाते हैंवो रातों में फ़ोन silent रख के जागना भी बस तुम तक था!
तुम्हारे बाद घर की छत को मुझसे शिकायत है,वो कोने-कोने में बतियाना भी सिर्फ़ तुम तक था! -
तुम्हारे बाद घर की छत को मुझसे शिकायत है,वो कोने-कोने में बतियाना भी सिर्फ़ तुम तक था!