हाय इस तरह रूबरू मत आया करो मेरे, जांना
मुझको तेरे जुल्फ-ओ रुखसार से डर लगता है।-
ये हवाएं उनकी जुल्फे बिखरा रही थी,
और वो उन्हें बार बार सवारे जा रही थी।
कहीं दूर बैठा ये देख रहा था मै,
और उन्हें संवारने की मेरी हसरत बढ़ती जा रही थी।।-
फिर इस के बाद ता'उम्र है कै़द भी क़ुबूल
इक नींद चाहिए बस जुल्फ़ों के साए में
پھر اسکے بعد تا عمر ہے قید بھی قبول
اک نیند چاہیے بس زلفوں کے سائے میں-
बङी बे'शऊर हैं जानाँ तिरी ये ज़ुल्फ़ें
जब जी चाहे तेरे रुख़्सार चूम लेती हैं-
ज़ुल्फ़ तेरी सियाख़ रात है और चेहरा महवश अफ़साना मेरा
अदाएँ तेरी जानलेवा हैं, मैं हूँ कश्ती और तू है किनारा मेरा-
اس زلف کی آڑھ میں نظریں چرایا نہ کر
لہرا کے ان زلفوں کو بے چین بھی کیا نہ کر
Iss zulf ki aadh me nazren churaya na kr
Lahra kein zulfaon ko be-chain bhi kiya na kr-
You are like the tresses
of my unkempt hair that
trail a smile on my rosy
cheeks. They may not be
perfect, yet they make me
feel beautiful.-
वो कहते हैं बादलों से घिरा माहताब चेहरा तिरा,
हटा के ज़ुल्फ़े उसने रौशन किया सरापा मिरा !!
وہ کہتے ہیں بادلوں سے گھرا مہتاب چہرا ترا،
ہٹا کے زلفیں اس نے روشن کیا سراپہ میرا !!-
“Someone’s sitting in the shade today
because
someone planted a tree a long time ago.”
"Worlds Environment Day"
-