य़ह हरे-हरे जो दिख रहे हैं य़ह हमारे पूर्वज हैं जो बाहें फैलाए खड़े हैं हम सबको अपना आश्रय देने बिना किसी भेदभाव के, निःस्वार्थ खड़े मिले हमें हर राह में युगों-युगों से य़ह यूँ ही निःस्वार्थ रहेंगे जीवन मरण तक एक इसी आस में कि कोई इन्हें भी अपनाए छोड़कर कुल्हाड़ी थोड़ा सा ही सही अपनत्व लाए इन्हें क्या चाहिए होता है, बस कुछ सालों की देख-भाल बदले में तुम्हें एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी झूला झुलाएंगे सालो साल प्रण एक वृक्ष तो हर साल लगाएंगे समझना होगा हमें यही रिश्ता हमे रखेगा जीवित एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक .................................................................................................................
वृक्ष से धरती को सजायें आओ वृक्ष लगाएं हम मत करो आघात प्राकृत पर मिलकर आओ संवारे हम मिलकर वृक्ष लगाएं हम पर्यावरण स्वच्छ बनायें हम धरती का श्रृंगार हैं वृक्ष इसे ना काट हटायें हम ये देता शीतल छाया है आओ वृक्ष लगाएं हम जब तु वृक्ष को काटते हो रो उठता है धरती - गगन मिलकर धरती को सजाये आओ वृक्ष लगाएं हम झूम कर बादल को बुलाता बादल हैं इसका प्रियतम वृक्ष हवाओं को शुद्ध बनाती पुष्प सुगंध का करती अर्पण वृक्ष से धरती को सजायें आओ वृक्ष लगाएं हम