हर खुशी छू के बदन पल में निकल जाती है
और इक ग़म है कि घर रूह में कर जाता है
......@Disha 'Azal'
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"गीतो में गिरधर का बस वज़ूद ढूंढ लेना..,
अब मीरा से लिखने की मत वज़ह पूछ ल... read more
जब देख मुझे चेहरे पे उसके रंग ख़ुशी का छाया ही नहीं
फिर क्यूँ उसके गालों पे मल कर करती मैं बर्बाद गुलाल
.. @Disha 'Azal'-
निखरा रंग हर पात-पात
डार-डार फूलों की बारात
कलियां ले रही अंगड़ाई
भंवरों की गुंजन बाग-बाग
महकी महकी सी है पुरवाई
कुंज-कुंज कोयल का राग
बहकी-बहकी सी तू भी सखी री
मदहोश हुआ हर यौवन आज
देखो सज-धज के आया बसंत
सुस्वागतम् ऋतुराज...🌼🌺🌹
.......©दिशा'अज़ल'-
કુંભ છલોછલ હતુજ, વધું ઉમેર્યાં કર્યું એટલેજ (જીવન કેટલાક નું ) વેડફાયું .😔
"बंदोबस्त सलामती के ही पुख़्ता न थे वरना
मालूम था "उन्हें" कि (श्रद्धा) अक़ीदत, जुनूँ (पागलपन) में पलटेगी"
..Disha-
है तू बहुत करीब पर हमारी दस्तरस* में है कहाँ
तू गोया* बस ख़याल है उफ़क* है या सराब* है कोई..
--@Disha'Azal'
दस्तरस - पहुंच, पकड़,
गोया --मानो,जैसे
उफ़क-क्षितीज्,horizon
सराब---मृगमरिचिका ,mirage-
हँस के अब अलविदा कहना ही लाज़मी है मिरा
हाथ जब तुम छुड़ा ही रहे हो दिसंबर की तरह
---@Disha 'Azal'-
वो गया तो लगा खुशबू बदन से गई
होता मैं फूल तो मुरझा गया होता
--@Disha' Azal'-
Suicide--खुदकुशी
हवा के वास्ते कभी बदन को टाँगने
कहीं पे पँखा तो कहीं था पेड़ आसरा*
@Disha 'Azal'
Aasaraa-- dependence,sahaara-
वो गया तो लगा खुशबू बदन से गई
होता मैं फूल तो मुरझा गया होता
@Disha 'Azal'-