सौ आफ़तें उसके लिए ले कर ये आती है मग़र
है कौन हलधर* सा यहाँ पर मुन्तज़िर* बरसात का
---@Disha 'Azal'
हलधर -किसान
मुन्तज़िर- इंतज़ार करने वाला
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"गीतो में गिरधर का बस वज़ूद ढूंढ लेना..,
अब मीरा से लिखने की मत वज़ह पूछ ल... read more
हाँ दिखाया रास्ता बेशक मुझे हर रहनुमा ने
पर असल में, ठोकरें उस्तादों की उस्ताद निकली
...Disha 'Azal'
रहनुमा-पथप्रदर्शक
उस्ताद-गुरु-
बस इत्ती सी ख्वाहिश मेरी....
लाठी सहारे को बेशक़ पकड़ना पापा
पर कभी खाट मत पकड़ना पापा
सर से गिर जाए दस्तार आपकी
ऐसे किसी के पाँव मत पकड़ना पापा
....@Disha 'Azal'-
बस इत्ती सी ख्वाहिश मेरी....
लाठी सहारे को बेशक़ पकड़ना पापा
पर कभी खाट मत पकड़ना पापा
सर से गिर जाए दस्तार आपकी
ऐसे किसी के पाँव मत पकड़ना पापा
....@Disha 'Azal'-
खामोश दुआ तो कभी सर पर रखे हाथ सा लगता है,
धूप में घना पेड़ और घर की बुनियाद सा लगता है,
मेरी ख्वाहिशों के लिये ज़रूरते अपनी समेट लेने वाला,
लफ्ज़ पापा मुझे 'शाबाश' तो कभी 'इरशाद' सा लगता है..!
..........©दिशा 'अज़ल'
इरशाद=Instruction..मार्गदर्शन,आज्ञा,
शाबाश=word for Encouraging...-
सौ फ़ीसदी ये सच है कि कभी थी मुहब्बत,हाँ तुझसे जानां
सोलह आना सच बोलूं ? तेरी याद नहीं अब आती है
...@Disha'Azal'
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भूलना जिसको था दुश्वार कभी वो
याद मुझे अब मुश्किल से आता है
@Disha 'Azal:-
जो मिटा कर गए मांग की लालिमा
ख़ाक में ए जवानों मिलाना उन्हें
@Disha 'Azal'-
हर खुशी छू के बदन पल में निकल जाती है
और इक ग़म है कि घर रूह में कर जाता है
......@Disha 'Azal'
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