बस इत्ती सी ख्वाहिश मेरी....
लाठी सहारे को बेशक़ पकड़ना पापा
पर कभी खाट मत पकड़ना पापा
सर से गिर जाए दस्तार आपकी
ऐसे किसी के पाँव मत पकड़ना पापा
....@Disha 'Azal'-
"गीतो में गिरधर का बस वज़ूद ढूंढ लेना..,
अब मीरा से लिखने की मत वज़ह पूछ ल... read more
बस इत्ती सी ख्वाहिश मेरी....
लाठी सहारे को बेशक़ पकड़ना पापा
पर कभी खाट मत पकड़ना पापा
सर से गिर जाए दस्तार आपकी
ऐसे किसी के पाँव मत पकड़ना पापा
....@Disha 'Azal'-
खामोश दुआ तो कभी सर पर रखे हाथ सा लगता है,
धूप में घना पेड़ और घर की बुनियाद सा लगता है,
मेरी ख्वाहिशों के लिये ज़रूरते अपनी समेट लेने वाला,
लफ्ज़ पापा मुझे 'शाबाश' तो कभी 'इरशाद' सा लगता है..!
..........©दिशा 'अज़ल'
इरशाद=Instruction..मार्गदर्शन,आज्ञा,
शाबाश=word for Encouraging...-
सौ फ़ीसदी ये सच है कि कभी थी मुहब्बत,हाँ तुझसे जानां
सोलह आना सच बोलूं ? तेरी याद नहीं अब आती है
...@Disha'Azal'
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भूलना जिसको था दुश्वार कभी वो
याद मुझे अब मुश्किल से आता है
@Disha 'Azal:-
जो मिटा कर गए मांग की लालिमा
ख़ाक में ए जवानों मिलाना उन्हें
@Disha 'Azal'-
हर खुशी छू के बदन पल में निकल जाती है
और इक ग़म है कि घर रूह में कर जाता है
......@Disha 'Azal'
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जब देख मुझे चेहरे पे उसके रंग ख़ुशी का छाया ही नहीं
फिर क्यूँ उसके गालों पे मल कर करती मैं बर्बाद गुलाल
.. @Disha 'Azal'-
निखरा रंग हर पात-पात
डार-डार फूलों की बारात
कलियां ले रही अंगड़ाई
भंवरों की गुंजन बाग-बाग
महकी महकी सी है पुरवाई
कुंज-कुंज कोयल का राग
बहकी-बहकी सी तू भी सखी री
मदहोश हुआ हर यौवन आज
देखो सज-धज के आया बसंत
सुस्वागतम् ऋतुराज...🌼🌺🌹
.......©दिशा'अज़ल'-