तरस गए हैं 👀तुझे देखने को ,
बरस गए है बादल🌧 ,मेघ होने को
अब तो तुझे भी मेरा इंतजार है,
क्यो न मिल लें किसी डेट को😉-
बहुत पुराना है ये सिलसिला ,सनम तेरे इंतज़ार का ,
एक मौका तो दे ए जिंदगी ,मुझे मुलाक़ात ए यार का ,
एक अरसे से प्यासी है ,ये दिल की जमीं ,
अब तो है इंतज़ार ,बस बरसात ए प्यार का,
ये नैना भी ढूँढते है तुझे ,इस जमाने की भीड़ में ,
है इनको भी इंतज़ार ,बस एक तेरे दीदार का ,
हर वक़्त मुझे यू देख कर मायुष ,आज पूछ लिया दिल ने मेरे ,
क्या है उसको भी इंतज़ार ,प्रमीत तेरे प्यार का ,
जानते हो ,क्या दिल को बताया है मैने ,
कैसे उसको समझाया है मैने ,
क्या बात करते हो कुछ वर्षों के इंतज़ार की ,
वादा है उससे सात जन्म के प्यार का ।।-
जी व्यक्ती..
समोरच्या व्यक्तीचा कायम विचार करत असते.
त्याच व्यक्तीला सगळ्यात जास्त त्रास होतो..
#Smitaraje
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तरस गए हम दीदार को
प्यार भरे दो अलफ़ाज़ को
वक़्त का तकाज़ा है शायद
या कोई गलती की सज़ा
जो रुखा सा है मिज़ाज़ अब
बता दो है कोई परेशानी गर
क्योंकि महसूस होता है हमें
तुम्हारा ये बदलाव अब...!!!-
Moksh paane ki iccha sabko hai..
Phir mrityu ka bhay kyu unko hai..
Shamshan s pavitra koi jgha nhi hai..
Or waha jaane mai tumko tras lgta hai..-
तुम्हे तरस नही आता?
पाल तो लेते हो हमें
हम बेजुबान जानवर तुम्हारे टुकड़ो पर पलने वाले
टकटकी लगाये इंतजार करते हैं
अपने हिस्से के भोजन का
कभी नहीं कहते ये जूठन है
मै तो तबभी ठीक हूँ
मेरे और दोस्त सड़को पर टहलते है
पता नहीं उनको कबसे खाना नहीं मिला होता
एक टुकड़े रोटी के लिए लड़ मरते हैं
आपकी गौ माँ जिन्हे आप पाल कर
दूध मिलना बंद होने के बाद
सड़को पर छुट्टा छोड़ देते हैं
कहाँ जाती है फिर आपकी गौ माता वाली ममता
क्या आप अपने प्रियों को भी ऐसे ही भूखे छोड़ देते हैं
कहाँ गए वो सनातन धर्म के घर
जहाँ पहली रोटी गाय माता की
आख़री रोटी मेरी बनती थी
जागो मालिक जागो
मै आज भी उतना ही वफादार हूँ
आप मुझे रोटी दो या नहीं
मै हमेशा आपका स्वामी भक्त रहूंँगा
बस हम बेजुबानों पर तरस खाओ
𝕸𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆 आपका वफ़ादार मोती
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तुम्ही किती सहन करता,
यावर तुम्हाला किती त्रास द्यायचा,
हे लोकं ठरवत असतात..!-
दोन प्रकारे त्रास होऊ शकतो...
एक असते त्रासाचे कारणं
आणि एक, आपण करून घेतलेला त्रास...
त्रासाचे कारण मिटू शकते, पण...
करून घेतलेला त्रास संपत नाही...-