तुम्हे क्या फर्क पड़ता है
मेरे अर्श और फर्श से
खाक तो मैंने खानी है
खाक भी मैंने ही छानी है..
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆
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MOHITA SRIVASTAVA
(Mohita)
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Mohita Srivastava
Joined 25 February 2020
12 HOURS AGO
16 HOURS AGO
विरह बिरहन से आज मै आजाद हो गई
मनाया अपने दिल को हजार बार
जब तेरा कोई नहीं तो तुम किसी की क्यों?
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆-
4 MAY AT 22:39
हँसते मुस्कराते रहिये
आपकी मुस्कराहट में
किसीकी दुनियाँ बसती है..
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆-
4 MAY AT 22:36
अहसास फरेब का जब जब आता है
नाजाने क्यूँ तेरा चेहरा याद आता है
जिसको हमने इंतहा चाहा था
क्यूँ तेरी तस्वीर की तावीर
बदली है?
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆
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4 MAY AT 21:03
बिना बताए किसी को
दिल दे बैठी
मै दिलजली,मुझसे ही
गैरों का हाल पूछता है..
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆-
4 MAY AT 0:51
इश्क़ ये ऐसा रोग हैं रांझा
जिसका कोई वैध नहीं
खुद ही ताप चढ़े
खुद ही शीतल हो जाए..
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆
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4 MAY AT 0:44
जिंदगी तेरे लिए हम जिए कुछ इस तरह
जैसे खाली ताबूत को मेरा इंतजार हो..
𝖒𝖔𝖍𝖎𝖙𝖆
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2 MAY AT 21:45
सतरंगी सपने
देखे जिसके संग
अतरंगी सपने
खुली आँखों से देखा
फ़िरभी
कोई रंग फीका रह गया..-