Parmeet Dhayal   (अधूरे अल्फ़ाज़)
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एक मासूम सा दिल,और ये बेरहम दुनिया
Joined 15 May 2021


एक मासूम सा दिल,और ये बेरहम दुनिया
Joined 15 May 2021
20 HOURS AGO

जब् अपना बना करदे दग़ा ,
तो क्या करे कोई ,

लगता है जैसे,
एक पल मे सौ बार मरे कोई ,

जिस दिल को यक़ीन था उसपर,
इन धड़कनों से ज़्यादा ,

जब वो दिल ही टूटा ,
तो जी कर क्या करे कोई ।।

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27 APR AT 23:16

ये माना. ...कि एक तरफा ...इश्क़ है तुमसें .
मगर .. इस पागलपन का ....मजा ही कुछ और है ,

हो सकता है ...तेरी धड़कन ना वाक़िफ़ हो, मेरे नाम से,
मगर ...इस दिल में ...तेरे नाम का बहुत शौर है ,


अक्सर... मिल जाती है मुझको खुशियाँ, बस तेरे ख़्याल से ,
मगर ....तु ही तो मेरी . ..नींदों का चोर है ,

जिसके साथ होने से ...मुकम्मल है हर आरज़ू मेरी ,
सिर्फ तुम हो दिलबर ...दूजा ना कोई और है ।।

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24 APR AT 23:07

अगर वो आये मेरे जनाज़े मे , लौटाना नही उसको ,
मगर ,चेहरा भी मेरा , दिखाना नही उसकों ,
कही वो रख दे हाथ सीने पे , और ये साँसे लौट आये ,
अब और जी कर ,सताना नही है उसको ।

अगर कोई पूछे ,वजह मेरे मरने की ,
कहना ,
एक पागल था ,
सच ,किसी को बताना नही यारो ।।

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24 APR AT 23:04

इस दिल, पे रख देना ,एक निशानी उसकी यारों ,
जो धड़कन हुआ करती थी , इसकी यारों ,
आगाह कर देना ,हर आशिक को ,इश्क़ के अंजाम से ,
फिर किसी को ना करनी पड़े ,यूँ खुदख़ुशी यारों ।

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24 APR AT 23:00

फिर हम नही ,हमारी बातें हुआ करेंगी ,
ना फिर कभी ,ये मुलाक़ाते ,हुआ करेंगी ,
फिर मुमकिन ना होगा ,ये दीदार अपना ,
बस आँखों से ,बरसातें हुआ ,करेंगी ।

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24 APR AT 22:57

आज ज़िंदा है ,तो कल गुजर जाएँगे ,
क्या पता ,कब् हम बिछड़ जाएँगे ,
कभी नाराज़ ना होना मेरी नादानियों पे दोस्त ,
ये वो लम्हें है ,जो ता उम्र याद आएँगे ।


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24 APR AT 0:15

आज ज़िंदा है ,तो कल गुजर जाएँगे ,
क्या पता ,कब् हम बिछड़ जाएँगे ,
कभी नाराज़ ना होना मेरी नादानियों पे दोस्त ,
ये वो लम्हें है ,जो ता उम्र याद आएँगे ।

फिर हम नही ,हमारी बातें हुआ करेंगी ,
ना फिर कभी ,ये मुलाक़ाते ,हुआ करेंगी ,
फिर मुमकिन ना होगा ,ये दीदार अपना ,
बस आँखों से ,बरसातें हुआ ,करेंगी ।

मेरे दिल, पे रख देना ,एक निशानी उसकी यारों ,
जो धड़कन हुआ करती थी , इसकी यारों ,
आगाह कर देना ,हर आशिक को ,इश्क़ के अंजाम से ,
फिर किसी को ना करनी पड़े ,यूँ खुदख़ुशी यारों ।

अगर वो आये मेरे जनाज़े मे , लौटाना नही उसको ,
मगर ,चेहरा भी मेरा , दिखाना नही उसकों ,
कही वो रख दे हाथ सीने पे ,वो साँसे लौट आये ,
अब और जी कर ,सताना नही है उसको ।

अगर कोई पूछे ,वजह मेरे मरने की ,
कहना ,
एक पागल था ,
सच ,किसी को बताना नही यारो ।।

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21 APR AT 12:47

यूँ ना ,तु सता मुझकों,
यूँ ना, तु रुला मुझकों ,
एक दफा हुआ था गुनाह , तुमसें इश्क़ का ,
अब हर पल दे ना ,यूँ सजा मुझकों ,

तुमने कहाँ से सिखा है हुनर ,
करके इश्क़ ,यूँ भूल जाने का ,
शायद मिट जाये ये दर्द वहाँ जाकर ,
उस जगह का दे ,तु पता मुझकों,

कब तलक यूँ रहूँगा मैं ,बेबस ,
और कितनी करनी है ये वफ़ा मुझकों ,
सुनता है तेरी रब ,तो कर इतना कर्म ,
बस अब दे दे ,मौत की दुआ मुझकों ।।
miss you

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16 APR AT 7:54

एक ख़्वाब है मेरा ,तुझे पा लेने का ,
पर हर ख़्वाब ,कहाँ मुक़म्मल होता है ,
तेरी यादें सताती है मुझको ,दिलबर मेरे ,
वरना कोंन शौख् मे रोता है ,

मेरा वजूद है, तेरे साथ होने से ,
बिना तेरा तो सब कुछ, अधूरा सा लगता है ,
जब जुड़ जाती है ,तेरी बातें मेरी बातों मे ,
तभी मेरा हर लफ्ज ,पुरा सा लगता है ,

यु भुला ना देना ,मुझको एक बुरे ख़्वाब की तरह ,
मुझे तेरे बिन ये दिल भी ,अधूरा सा लगता है ,
अगर हो कोई खता तो ,मिले माफ़ी मुझकों,
मेरी ज़िंदगी तुम हो, बस एक ये सच पुरा सा लगता है ।।

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16 APR AT 7:42

आधा सफर तो गुजर गया , अब तलक ज़िंदगी का ,
बाकी बचे सफर में ,हमसफ़र को क्या ढूंढे,

क्या कुछ ना छीना, ऐ ज़िंदगी तुमने मुझसे ,
अब किस उम्मीद मे , नये ख़्वाबों को बुने ,

बस अब तो गुजर जायेगी ये ज़िंदगी ,युहीं मुफळशी में,
अब क्यू गम को छोड़ ,खुशियों को चुनें,

जिसने दिया हो साथ ,हर सफर मे मेरा ,
तु ही बता उसका हाथ छोड़ ,क्यू किसी के कदम चूमे ,

ना शिकायत है तुमसें , तेरे दूर होने की ,
जब ज़िन्दगी है ही सफर ,तो क्यों ना मस्ती मे झूमें ,

बस एक अरमान बाकी है ,तेरे रूबरू होने का ,
ऐ मौत ,कब तु आकर मेरे हाथ को चूमे ।।

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