हर शब्द में कुछ बात है ll
जिंदगी खुली है
क्योंकि कलम ही जीवन की तलवार है ll-
Kayamat Se Chehre per Talwar Si Nazar
Aisi Hai Mere Mahbub ki shakl.........-
बात तो आज भी होतीं है रात भर हम से,,
लेक़िन कल तुम से बात करती थी,,
और आज खुद से बात करती हूँ..-
तलवार हमेशा ज़ख़्म ही देती है,चाहे वो लोहे की हो या शब्दों की। फ़र्क बस इतना है कि लोहे की तलवार शरीर को ज़ख़्म देती है,तो शब्दों की तलवार अंतर्मन को चीर कर रख देती है। तलवार के घाव तो समय के साथ भर जाते हैं,पर शब्दों के घाव कभी नहीं भरते।समय के साथ ये और तल्ख़ हो जाते हैं। तभी तो इन शब्दों के तीखे बाणों ने महाभारत रच डाला। संसार में हर इंसान को बोलने की आज़ादी है। इसका मतलब ये नहीं कि हम कही भी कुछ भी बोल दें।हमें सही समय पर सही शब्दों का चयन करना चाहिए। हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि जाने-अनजाने हम किसी का दिल तो नहीं दुखा रहे। अनुचित शब्दों का प्रयोग किसी का भी सीना छलनी कर सकती है। अतः शब्द रूपी तलवार को हम जबान रूपी म्यान से बाहर ना ही निकालें तो अच्छा। वरना रामायण को महाभारत बनते देर नहीं लगेगी।
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Na Talwar, na banda घुड़सवार
Bagawat-e-syahi ki कलम hi kaafi hai.-
हसरतों ने लगायी बहुत 'जंग' इस 'दिल' में
अब मुझे जरूरत किसी 'म्यान' की है !-
रहे ताज सलामत जीत की तेरे माथे,
तेरी जीत का ही रहनुमाई करे ताउम्र मेरी ये जबान,
जंग हो गई है तेरी मुझसे ही तो क्या हुआ,
तेरी जीत के लिए तो मैं सौ दफा कुर्बान....-
Mujhe mere hath me mahendi pasand thi,
Per majbooriyun ne hath me talwar thamadi.-
आप अपनी तलवार से यलगार ना कीजिए,
मैं तो इश्क में फनां हूं, मुझे यादगार ना कीजिए!!-
Haar Se Jeet Se Na Talwar Se Dar lagta Hai
Bas Mujhe Waqt Ke Gaddar Se Dar Lagta Hai-