तरुण मिश्रा  
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Joined 2 April 2017


Joined 2 April 2017

सोचते हैं खरीद लेंगे हम सबकुछ पैसों के दम से,
ये हमारा वहम ही हमे कंगाल बना के जायेगा..

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जिस देश में लोग अपने 'राष्ट्रपिता' को गाली दे पा रहे हैं वो देश है भारत,

क्या इससे अच्छा भारत बना देते नाथूराम गोडसे ?

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कुछ लोग थे शायद, जिन्हें सम्हालना था उसे

वरना किसी अपने के गुजरने पर 'आँसू ' रोकता कौन है

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वो जानता है घर से टपकेगा पानी मगर

पर अपनी फसल के लिये ,बारिश की भी दुआ मांगता है

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30 JUL 2021 AT 20:44

तुम्हारा किरदार था वैसा, वरना, हमने कभी किया नहीं था

कि हम जुदा होके किसी से ,फिर मन्नतें माँगे उसी की

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मकसद तो हो जीने के लिये भी कोई

वरना मरने की वजह तो यहाँ हजारों हैं

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इश्क़ मुहब्बत की बातें ,वही किया करते हैं

जिनको फिक्र 'कल की रोटी' की, होती नहीं है !

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कितने रिश्तें तोड़ोगे अपनों को खराब बताकर,
कभी खुद पे भी नजर अपनी मारो तो सही !

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26 MAY 2021 AT 10:56

कुछ तजुर्बे रहें हैं बुरे मगर

पर ज़िन्दगी..... आज भी तू खूबसूरत वही है

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हम खुद गिर चुके हैं अपनी नजर में,

अब और कैसी सजा तू देगा हमें !

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