सोचते हैं खरीद लेंगे हम सबकुछ पैसों के दम से,
ये हमारा वहम ही हमे कंगाल बना के जायेगा..-
कभी मिलूँगा खुदा से तो पूछुँगा जरूर ,
क्या गुनाह था मेरा, जो इंसा बनाया गया मुझको-
जिस देश में लोग अपने 'राष्ट्रपिता' को गाली दे पा रहे हैं वो देश है भारत,
क्या इससे अच्छा भारत बना देते नाथूराम गोडसे ?-
कुछ लोग थे शायद, जिन्हें सम्हालना था उसे
वरना किसी अपने के गुजरने पर 'आँसू ' रोकता कौन है-
वो जानता है घर से टपकेगा पानी मगर
पर अपनी फसल के लिये ,बारिश की भी दुआ मांगता है
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तुम्हारा किरदार था वैसा, वरना, हमने कभी किया नहीं था
कि हम जुदा होके किसी से ,फिर मन्नतें माँगे उसी की-
मकसद तो हो जीने के लिये भी कोई
वरना मरने की वजह तो यहाँ हजारों हैं-
इश्क़ मुहब्बत की बातें ,वही किया करते हैं
जिनको फिक्र 'कल की रोटी' की, होती नहीं है !-
कितने रिश्तें तोड़ोगे अपनों को खराब बताकर,
कभी खुद पे भी नजर अपनी मारो तो सही !
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कुछ तजुर्बे रहें हैं बुरे मगर
पर ज़िन्दगी..... आज भी तू खूबसूरत वही है-