Manju Vishwakarma   (Manju vishwakarma)
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Joined 9 August 2020


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Joined 9 August 2020
5 MAR AT 11:09

बहारों के साथ एक,
तूफान भी जरूरी है,
जिंदगी में थोड़े,
इंतिहान भी जरूरी हैं,
यूँ तो मिलते हैं,
हम रोज कई लोगों से,
कभी-कभी ख़ुद से,
मुलाक़ात भी जरूरी है।

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4 DEC 2023 AT 14:44

पुष की सर्द रात में,
चंद सिक्के की आस में काँपते हाथों को,
एक कंबल देने में है,
लाठी के सहारे चलते बूढ़े कंधो को,
संबल देने में है,
परिवार के पोषण करते उन छोटे कदमों को,
उनका बचपन देने में है,
कर सके इतना जो हमारे वश में हो,
इस छोटी दुनिया को अपना,
समर्पण देने में है।

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8 NOV 2023 AT 21:16

जलते हैं चिराग, हर शय में है उजाला,
पर जलने का दर्द कोई नहीं बताता,
पलते हैं पंक्षी, एक जीव जन्म लेता,
पर घोंसले का दर्द, कोई नहीं बताता,
उगाता है सोना, सीने पर हल चलाकर,
पर धरती का दर्द, कोई नहीं बताता,
ऊँगली पकड़कर, वो जग को जीत लेता,
पर कांपते हाथों का दर्द, कोई नहीं बताता,
उगता है सूरज, चलता है पूरा जीवन,
पर डूबने का दर्द, कोई नहीं बताता।

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27 AUG 2023 AT 17:16

कहानियों में जी रहें हैं, और कल्पनाओं को महसूस कर रहें हैं
ये इंसान हैं आज के, ना सो रहें हैं ना जाग रहें हैं,

चाहते क्या है कहना और क्या सुन रहें हैं,
ये बुनियाद है सोच की, ना कह पा रहें, ना समझ रहें हैं।

जाना कहाँ चाहते हैं, कहाँ जा रहें हैं,
ना रास्ते ढूंढ़ रहें, ना मंज़िल पा रहें हैं।
जाने किस कशमकश में खोए हैं,
जाने क्या खोज रहें हैं,
ना जी रहें हैं आज को,ना कल को भुला रहें हैं।

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23 MAY 2023 AT 21:44

तेरे वादे पर ऐतबार हम करते रहे,
तुझे बेइंतहा प्यार हम करते रहे,
इस क़दर तुझपर यक़ीन था हमें,
तेरे हर वार पर जान कुर्बान करते रहे।

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12 APR 2023 AT 12:13

फूल ही क्या,
बहारों को भी झुठला जाती हो,
बिछ जाती हैं कलियाँ,
तुम्हारे क़दमों के नीचे,
मेरी जान! ऐसी अदा,
कहाँ से लाती हो।

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11 APR 2023 AT 6:43

हम महफूज़ रहते हैं,
करीब होते हैं ख़ुद से,
सबसे दूर होते हैं,
माना छू नहीं सकते
हम तेरे वज़ूद को,
तेरे यादों से भला कहाँ,
हम दूर होते हैं।

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9 FEB 2023 AT 12:13

अब हमसे ना होगा
ये प्यार का व्यापार हमसे ना होगा,
हम तो मोहब्बत नजरों से किया करते हैं,
ये आडंबर ओ सरकार !, हमसे ना होगा।

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10 JAN 2023 AT 23:54

हस्ती हमारी किसी
से नहीं कम है,
माना खुशियाँ थोड़ी हैं,
पर नहीं कोई ग़म है,
हम जो भी हैं,
बस आपकी परछाई हैं,
हमारी दुनिया आपसे,
आप हैं, तो हम हैं।

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3 JAN 2023 AT 19:57

आँखों में छुपे दर्द को ख़ूब पहचानती है,
अनकही बातों को पल में जान जाती है,
मेरी हर उलझन, वो जाने कैसे सुलझाती है,
एक माँ ही है, जो सब जानती है।
चोट मुझे लगती, आँख उसकी नम हो जाती है,
मेरे हर जख्म की, वो मरहम बन जाती है,
मेरी हर भूख, बस उसकी रोटी पहचानती है,
एक माँ ही है जो सब जानती है।
मैं करता शरारत, वो बस मुस्कुराती है,
अपने गुस्से में भी बस, वो प्यार झलकाती है,
मेरी हरकतें,उसकी नजरों से कहाँ बच पाती है,
एक माँ ही है जो सब जानती है।

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