मैं. तुम और तन्हाई, बस इतनी सी गुजारिश तुमसे।
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तुम बन जाओ कृष्ण, मैं राधा बन जाऊँ,
तुम छेड़ो संगीत, मैं मुरली बन जाऊँ,
प्रेम की धार बनो तुम, मैं गोपी बन जाऊँ,
तुम समा सको मुझमें, मैं यमुना बन जाऊँ।
गर बनो सरथी तुम, मैं पार्थ बन जाऊँ,
गर बचा सको तुम लाज , तो नारी बन जाऊँ,
हे कान्हा! मुझमें तुम हो, तुमको कहाँ से पाऊँ,
तुम कस्तूरी सा मुझमें, मैं बस मृग बन जाऊँ।-
दर्द से शायरी का,
रिश्ता गहरा होता है,
शायर तो दर्द से,
रिश्ता बयां करते हैं,
रख देते हैं चाक -ए -जिगर,
कागज पर निकाल कर,
आप ज़नाब कौन सा,
कमाल करते हैं।-
इंसानियत ज़िंदा है,
बस खिलखिलाते बचपन में,
बड़े लोग तो मुर्दो से भी,
मुँह फेर लेते हैं।-
ना फेर हमसे, नज़र, ओ हसीना!
हम तेरी नज़र के, दीवाने हुए जाते हैं,
ना मरने का डर है, ना जीने की ख्वाहिश,
हम तेरी जुस्तजू में, परवाने हुए जाते हैं।-
किया जब प्यार जिंदगी के साथ ही,
दर्द भी लें लेंगे, जिंदगी के बाद भी।-
किसी के इश्क़ में,
खोने के नाम मोहब्बत है,
सबकुछ पाकर,
लूट जाने का नाम मोहब्बत है,
ग़म न कर,ऐ इश्क़ में मरने वाले,
किसी की चाह में,
मर जाने का नाम मोहब्बत है।-
भटक न जाएँ हम,जीवन की तंग गालियों में,
सफ़र में थोड़ा,विराम जरूरी है,
हो आँखों में नमी, चलो कोई ग़म नहीं,
हर वक्त होठों पर, मुस्कान जरूरी है,
मिलती नहीं खुशियाँ हर वक्त, हर सफर में,
कभी कभी अश्कों के,तूफान जरूरी है,
हम सब हैं मुसाफिऱ,क्या लाये क्या दे जाएँगे,
इस रुखसती से पहले,स्वयं की पहचान जरूरी है।-
एक ख़याल हो तुम, जो मेरे साथ होते हो,
हँसते हो मेरे साथ , मेरे साथ रोते हो,
क्या हुआ जो मुझको, तुम नज़र नहीं आते,
मेरी हर साँस के साथ, तुम एक आस पिरोते हो।-
आओ बनके ख़ुशबू, हम बिखर जाएँ,
थोड़े से बिगड़े, थोड़े से सुधर जाएँ,
ग़म क्या कम हैं,ज़माने की फ़िजाओं में,
हम बनकर मुस्कान, होठों पर निखर जाएँ।-