Babuaan Saurabh Chaudhary   (©𝗦 A U 𝗥 A B H)
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Joined 10 February 2019


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Joined 10 February 2019
22 MAR 2023 AT 11:39

जो मसला बेचैनी का हैं,
वही सुकूँ भी हैं,
जिसे देख मै मौन हो जाऊ,
वही तो वजह जुनून का भी हैं,

बस ये टूटे टूटे से ख्वाब वो थाम ले,
तो मैं दिल-ओ-साज़ उस रानी का रहू,
वो आये बस लिपट जाए गले से,
तो मैं बरकरार हिस्सा उस कहानी का रहू...

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21 MAR 2023 AT 23:28

हैं सुकूँ दिल-ओ-जहाँन में इस बात से भी,
मेरे अज़ीज़ में से कोई भी मेरे राह में नहीं हैं,
हैं आबाद अपने अपने जहाँन में सब,
खुदा का शुक्र हैं, मुझसे इश्क़ करके कोई तबाह नहीं हैं...

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25 FEB 2023 AT 11:20

अबकी बार मेरी नज़र से जो आँसू गिरेंगे,
तो उनके दामन में गहरे धब्बे हो जायेंगे,

सुना रहा हुँ जो पिछली मोहब्बत के किस्से,
डर हैं अबकी वाली के झूठे ,
और पुरानी वाली के ही सच्चे हो जायेंगे...

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21 FEB 2023 AT 15:59

अपनी मोहब्बत की दास्तान सुनाते हो,
आजी बड़े अजीब हो ,अपनी मौत की ही राख उड़ाते हो,

दुनिया खेलो में जीतने वालों की ही ताजदारी करती है,
मिया तुम किसलिए अपनी शिकस्त की बात बताते हो,

तुम्हें नाज़ था जिस पंछी पे, वो कब का उड़ गया,
फिर किस काम से उसके उड़ने के अंदाज़ बताते हो,

अपनी मोहब्बत की दास्तान सुनाते हो,
आजी बड़े अजीब हो ,अपनी मौत की ही राख उड़ाते हो,

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11 FEB 2023 AT 16:46

तुमसे माँग कर तवज्जो,
ये हम किस गली के तरफ़ फ़िर रहे हैं,
करके तुझपे नज़र,
कहीं हम अपने नज़रों में तो नहीं गिर रहे हैं,

माना ये जलवे हसीन हैं,
तुम एक मुलाक़ात में हीं सबके हो लेते हो,
मैं तो हैरान-निगाही हूँ इस बात से,
तुम अपने आईने से रूबरू कैसे हो लेते हो.

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5 FEB 2023 AT 16:46

मत कर फिक्र किसी जुस्तुजू की"mir",

जो कुछ कह के गया वो,
कल जवाब भी उसे, उसी के लेहजे मे मिलेगा,

आग, धूप, मिट्टी, पानी ही हैं इंसा
और कुछ भी तो नहीं,
एक रोज मुझे भी इसी चमन में मिटना हैं,
वो भी इसी फिज़ा में मिलेगा...

गुलामों के शहर में बसा हैं वो अब,
लाजिम हैं वो अब किसी की रज़ा में मिलेगा,

जमाना था जब खुदा उसे किसी की दुआओ में देते थे,
अब तो वो हर बार किसी की सजा में मिलेगा...
अब तो वो हर बार किसी की सजा में मिलेगा...

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2 FEB 2023 AT 12:23

हैं अपनी अपनी रज़ा बंदे की,
क्यों अच्छे भले ज़िंदगी को कोई अज़ाब करे,
भूल गए तो भूल जाने दो, "mir"
कोई तुझपे नज़र करके क्यों अपनी नज़र खराब करे,

तेरे पे उठी हैं आग तो आग को जलने दो,
क्यों उठी इस बात का क्यों सवाल जवाब करे,
जब नतीजा ही शून्य हो तो हक़ में कोई क्या निसाब करे,
ज़िंदगी ही जब मौत लगने लगे"mir",
तो खुदा भी क्या तेरा हिसाब करे...

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22 DEC 2022 AT 12:26

ये कैसा ख्याल हैं... हैं तेरा और तुझी से डरता भी हैं,
मांगता हैं दिल दुआओ में साथ जीने की,
और तुझपे ये मरता भी हैं...

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22 DEC 2022 AT 11:39

ये दिल की ना-समझी चाल का,
दिमाग से सौदा कर देंगे,

तुम्हारी याद जिस रोज गुनाह बन जायेगी,
उस दिन से ही तौबा कर देंगे....

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20 DEC 2022 AT 19:29

इस खुदगर्ज़ वाली दुनिया मे भी,
मैं खुद की जरूरत से पहले दुसरो की जरूरी समझ लेता हूँ,
मैं बड़ा ना-समझ सा हूँ,
यहाँ पर हर किसी की मजबूरी समझ लेता हूँ...

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