" ये जिंदगी हमे खुद के दम पे जिनी है. दूसरों की दम तो हमारा जीना हराम कर देता है. क्योंकि, इशारा सिर्फ दूसरों का, और नाच हमारा हो जाता है "
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जब स्वाभिमान को ठेस पहुंचती है,
तब... दिल से बने,
सोने के रिश्तें भी,
एक पल में बिखर जाते है ।-
Tu kar itna buland khudko
Ki teri kamjori bhi Teri taqat ban jaye...
Yeh sangharsh hi tera swabhiman hai or swadhinta hi teri pehchan ban jaye...-
गैरों की नजरों से खुद को क्यों मैं तोलूं
आवाज है मेरी भी मैं
किसी और की जुबानी क्यों बोलूं
मेरा हक है खुद पे तो फैसला भी मेरा होगा
हर बार हर बात का दावेदार तू नहीं होगा
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Swabhiman tum apna khona nahi
Har insaan ke samne rona nahi
Matlab ke yha milte sodagar
Kaam nikalte apna bnakar
Kisi ke keh dene se
Chaah tum apna chorna nahi
Naa raah tum apna badlna kbhi-
उदास खुद को कर आई हूँ ,
आज़ शाम मै बहुत कुछ हार आई हूँ ।
आजतक स्वाभिमान नहीं जाहिर किया मैनें,
उनके और उनसे जुड़े लोगों के सामने;
तो लगा उन्हे- "मै अपने स्वाभिमान कहीं खो आई हूँ।"
उनकी बातों से इसबार,
मै अपनी मुस्कान हार आई हूँ ।।-
ईश्वर से प्रार्थना है कि
इतनी कृपा बनाए रखना
स्वाभिमान जाने ना पाए
और
अभिमान आने ना पाए।-