Ishika sinha   (आपकी Ishiii)
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Birthday -- 15th May
Joined 8 November 2019


Birthday -- 15th May
Joined 8 November 2019
25 NOV 2024 AT 9:53

ना इतना शोर कर ऐ दिल मेरे,
मुझे तेरी धड़कनें नहीं सुननी।

गुज़र रही हूं राह– ए –मंज़िल पर अब,
मुझे तेरी उलझने नहीं सुननी।

हंस रही, मुस्कुरा रही, खुश हूं बहुत,
मुझे अब फ़िर से इश्क़ की तड़पने नहीं सुननी।

ना इतना शोर कर ऐ दिल मेरे,
मुझे सच में तेरी धड़कनें नहीं सुननी।

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25 NOV 2024 AT 9:25

धड़कनें रुक–रुक कर चलती हैं
तेरे करीब आने से,

तू नशा सा चढ़ता है
हर बार आँखें मिलाने से।

कहा था तुमने
आँखें नशीली है मेरी ,

कमबख्त मन ही नासमझ है
जो घबराया नहीं तुझसे दिल लगाने से।

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23 APR 2024 AT 20:21

दूरियां है इतनी हमारे दरमियान,
की सब्र की बांध अब टूटी जा रही है।
अरसा हुआ तुमको देखे हुए,
की अब ये दूरी मुझसे और सही नही जा रही है।

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23 APR 2024 AT 20:15

हर पल तेरी याद मुझे बड़ा सताए,
लगन इश्क की ऐसी की सही न जाए।
क्या करें दवा तेरे यादों के इस रोग का,
तेरे सिवा इस अग्न को कौन बुझाए।

करवट बदलती रहती हूं मैं रात भर यूं,
जैसे हवा तेरी आहट मुझ तक लेकर आए।
भारी लगता है मुझको मेरे सांसों का आना - जाना,
ज़िंदगी से एक तरफा रिश्ता हम कैसे निभाएं।

वो तेरा सताना मुझे, फिर प्यार से गले लगाना,
की हर - जगह यादें तेरी अब मुझसे सही ना जाए।
कबतक रहेंगे हम भटकते यूं बंजारो से।
जहां तेरी याद ना आए ऐसा कोई मुझे पता बताए।

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31 MAR 2024 AT 18:43

अपनी टूटी कश्ती का सहारा मांगती हूं,
तू माफ़ कर मुझे अब मैं तेरे लिए तुझसे ही किनारा मांगती हूं।
तेरे साथ रहकर बहुत तकलीफ़ दिया तुझे,
अब मैं खुद ही खुदसे, तेरी आज़ादी मांगती हूं।

हां गुनेहगार हूं मैं तेरी, मगर अब तेरे लिए खुशियां मांगती हूं।
तू माफ़ कर मुझे मैं तेरे लिए तुझसे ही किनारा मांगती हूं।
दिए जो जख्म मैंने उसे और कुरेदना नहीं चाहती,
बस तुझे मुझसा बेदर्द कोई और न मिले ये दुआ मांगती हूं।

तू टूटा है मेरी वजह से, खुद को कभी माफ़ करना नहीं चाहती हूं,
तुझे तोड़ने के जुर्म में, मैं खुदको को भी तोड़ना चाहती हूं।
सही है फ़ैसला तेरा मुझसे दूर होने का,
अब और तकलीफ़ तुझे मैं देना नहीं चाहती हूं ।

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15 JAN 2024 AT 0:26

तन्हाइयों में घिरे रहे वो जब आज,
उन्हें तब भी याद हमारी नहीं आई।
और कमबख्त हमें भरी महफ़िल में भी आज़,
बस उनकी ही कमी नज़र आई।

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11 JAN 2024 AT 19:43

तू चाहे चंचलता कह ले,
तू चाहे दुर्बलता कह ले।
दिल ने जब मजबूर किया,
मै तुझसे प्रीत लगा बैठी।

ये प्यार सिर्फ लफ्जों का मेल नहीं,
दो चार घड़ी का कोई खेल नहीं।
ये तो खुले आसमां का तारा है,
ये कोई जेल नहीं।

और तू चाहे विवशता कह ले,
तू चाहे दुर्बलता कह ले।
मैंने जब भी हमारे बीच कोई रेखा खींची,
तेरे और क़रीब जा बैठी।

मैं तुझसे और प्रीत लगा बैठी।।

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29 DEC 2023 AT 23:43

मैं ढूंढ रही जो वजह वो कहता कहां कोई,
दर्द सामने वाले का समझता कहां कोई,
बातों में उलझा, लोग कहते नहीं जो कर जाते हैं,
सामने से तारीफ कर पीछे छल जाते हैं।

वो कब तक संभाल पाएगी अपने मासूम मन को,
कैसे यकीन कर पाएगी किसी और का कहा, कल को।
और अगर यकीन कर भी ले वो तो,
ख़ुद को कैसे सही बता पाएगी, अपनी सच्चाई कैसे समझा पाएगी

क्यों लग कर भी वो अच्छी उनको अच्छी नहीं लगती,
रुआंसी आँखें भी उसकी उनको सच्ची नहीं लगती।
उसकी हर बात पर ये ‘संदेह’ क्यों उनको रह जाता,
भरोसे की साजिशो में ये दिल उनका क्यों फस जाता।

क्या मिलता लोगों को किसी को इस क़दर बदनाम करके,
हर मोड़ पे अपने सही होने का सबूत देना पड़े इस कदर जिंदगी तबाह करके।
मैं ढूंढ रही जो जबाब वो कहता कहां कोई,
दर्द सामने वाले का समझता कहां कोई।।

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31 OCT 2023 AT 21:08

की प्रेमिका हूं पर मेरे साथ बेटी जैसा व्यवहार करते हैं,
मेरे तकलीफ़ में दर्द उन्हें होता है, मुझसे वो इश्क़ बेशुमार करते हैं।

शिकायत, मोहब्बत, लड़ाई , उनसे सबकुछ करती हूं,
जी रही हुं एक उनके भी खातिर, बस उनपे ही मरती हूं।

न जानें कितनी गलतियां करती हूं, वो सब माफ कर जाते हैं,
कठोर बोल है उनकी, पर व्यवहार में नम्रता और प्यार रखते हैं।

हर जीवन में मुझको जीने का बस यही आधार मिलें,
अब रहे जिंदगी जितने पल की, मुझे आपका प्यार मिले।

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30 SEP 2023 AT 23:13

की चेहरे पे उनके, उदासी, रंज और गम के बादल से छाए हैं।
दुःख के दर पे पहले से बैठे वो, फिर से सताए गए हैं।
बहुत क़रीब से देखा है हमने उनको ,
जो हर वक्त मुस्कुराते थे, आज़ वो हीं दर्द छुपाए हैं।

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