जितना मन करता है खुल के बात करने का,
काश इतना कर पाऊं
मैं जीते जी तुम पर फिर से मार पाऊं
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मां तू एक गहरी याद है
मेरी हर पल की बुनियाद हैं
दर्द होता है यह जान के की तू नहीं
अब लगता है जैसे मैं बेटी ही नहीं
तेरी आवाज ही मेरे दर्द को सुला देती थी
मेरे हर गम को तेरी मौजूदगी भुला देती थी
Miss u ma-
बेटी सिर्फ बेटी नहीं होती,
वो मा का चरित्र होती है,
वो मा का बनाया चित्र होती है,
मा के रंग उसमें समाय होते हैं,
उसकी जिन्दगी में मा के विचारों के शाय होते हैं. Miss you-
मां अब मैं तुझे देखा नहीं पाती,
पर फिर भी मुझे तु नजर है आती,
मां अब मैं तुझे सुन नहीं पाती,
पर तेरी आवाज मेरी कानों से नहीं जाती, मां अब भी महक तेरी वजूद की आती है तेरी आंचल की छांव बिन मेरी आत्मा झुलस जाती
Love you maa miss u
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मां का ना होना
जैसे घर में आंगन ना होना
मां का ना होना
जैसे खाने में स्वाद न होना
मां का ना होना
रुत बसंत पर बाहर न होना
मां का ना होना
हंसी में मुस्कान न होना
मां का ना होना
मंदिर में भगवान ना होना
मां का ना होना
जिंदगी में बचपन ना होना
मां का ना होना
जिंदगी में खुशियों को खोना
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पाक प्रेम कि ये बेजुबान कहानी हैं
दिल से दिल का सफ़र
बेखबर रखूं हर दर्द से तुझे
ये हमसफर-
मां तेरा आंगन अब सूना हो गया
तेरे जाते ही इस घर की जान चली गई
जिस घर के आंगन की शान थी तेरी बेटीया
उन बेटियो का बचपन अब पल में खो गया
हर कोना रोता है इस घर की बगिया भीं सुख गई
हर मंजर जो सुकून देता था इस घर का
आज चोट सा चुभता है
मां तेरे जानें का दर्द आखों से बहता है
अब तु नहीं तो चुप होने को कोन कहे
मां अब तु ही बता तेरे बिन केसे रहे
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ज़िंदगी के हर जख्म की दवा होती है मां
ज़िंदगी के हर रात की सुबह होती है मां
ज़िंदगी के सफ़र का त्योहार होती है मां
ज़िंदगी के हर बचपन का आंगन होती है मां
ज़िंदगी को जो जिंदा कर द वो सुकून होती है मां
हर खुशी के आसू में मुसकान बन चेहरे पे होती है मां
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रूखी सी मुस्कान लिए कंधों पे थकान लिए
अकेले में गम पीते हैं कोइ सुनने वाला नहीं
इस लिए कलम से खुद के गम सीते हैं-