कोई आकर मेरे सपनों को भी तालीम दे जाए।
मुझे अब इनकी बातों पर रोना पसंद नहीं है।।-
Maana kay toofaañ se apna koyi rishta nahiin tha,
Par kashti main surakh karne wala kya apna nahiin tha?-
Kashti mein surakh hua to kya, humne sahare k liye tumhe pukara..
Tum to chod gaye bhawar mein, hume to fir mil na sake kinara...-
कौन कहता है..
आसमां में सुराख़ हो नहीं सकता.
एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों..-
जो बात घर में हुई थी अब बाजार में है,
कोई सुराख तो यकिनन मेरी दिवार में है---!!
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मैं शून्य हूँ या लाख हूँ,
सीने की आग हूँ या
चिता की राख हूँ
मैं निकला हूँ खुद
की खोज में "मन्नू"
पाया तुमको मैंने हृदय
खुद उसमे एक सुराख हूँ।।-
दिल में सुराख°कुछ इस कदर तक गहरा हो गया हैं।
।।तुम्हारा इश्क तो दूर।।
अब तो°उम्मीद तक को पहुँचने में भी°वक्त लगेगा।।-
तेरी खूबसूरती बढ़ाने का नया तरकीब अपनाया है
बिना सूराख किए तुझको नथ पहनाया है-
इश्क़ की तासीर ही कुछ ऐसी है
कि जला कर राख कर जाए
जो ग़र समझो इस दिल को लोहे का
तो इसमें भी सुराख कर जाए ।।
R.V.-