Ritesh Verma   (-RV)
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Joined 29 December 2017


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Joined 29 December 2017
12 JUN 2022 AT 0:34

"Hamare darmiyaN kuch bhi nahi hai
Siwaaye bewajah khamoshiyoN ke"

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11 JUN 2022 AT 1:40




"Tere saath khush reh ke kya hi karunga
Mujhe apne gham se hi fursat nahi hai"

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8 NOV 2021 AT 23:31


1222 1222 1222


"नई रुत के गुलों सा खिल उठेगा जी
कभी जब पास में बैठा करोगी तुम"

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16 MAY 2021 AT 1:00

मुझ में तेरी याद मुसलसल रोती है
इश्क़ में यानी ऐसी हालत होती है

तन्हाई का आलम हावी है इतना
मैं जगता हूँ सारी दुनिया सोती है

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26 NOV 2020 AT 16:16

बह्र: 2122 1212 22

आज के बाद मुझ से जान ए जाँ
कोई रिश्ता भी मुझ से नहीं रखना


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26 NOV 2020 AT 11:33


122 122 122 122

तेरे हुस्न की दस्तरस में यूँ आकर
मुसलसल तुझे देखता ही रहा मैं

तिलिसमे-मुहब्बत में क्यूँ जाने जाना
तुझे बस तुझे सोचता ही रहा मैं

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26 NOV 2020 AT 9:52


1 2 2 2 1 2 2 2
तुम्हें खो कर ये जाना है
कि मुझ को मुस्कुराना है

मेरे हक़ में नहीं कोई
तेरे हक़ में ज़माना है

तेरी किस्मत में है राहत
मुझे तो ज़ख्म खाना है

हमारा इश्क़ जान-ए-जाँ
कहानी है फ़साना है

ज़रा सुन भी लो दिल की तुम
हाँ तुमको कुछ बताना है

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21 OCT 2020 AT 23:40

1222 1222 1222 1222

मुझे ये ग़म सताता है मैं तेरा हो नहीं पाया
मैं उसका हो गया लेकिन मैं सारा हो नहीं पाया

तअल्लुक़ ख़त्म करने को झगड़ना चाहा था लेकिन
बहुत चाहा था मैंने पर ये झगड़ा हो नहीं पाया

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16 JUN 2020 AT 21:13

बह्र: 2122 2122 212

आइना टूटा है तुम से क्या कहूँ
शख़्स इक रूठा है तुम से क्या कहूँ

तुम से कहनी थी मुझे बाते बहुत
क्या कहूँ जाना मैं तुम से क्या कहूँ

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15 JUN 2020 AT 8:30

वज़्न: 212 1222

दिन नया निकलता है
ग़म ये दिल में ढ़लता है

वक़्त बे-वफ़ा है क्या
वक़्त भी बदलता है

अक़्स क्यूँ मिरा मेरे
साथ साथ चलता है

जो भी मुझ से पीछे है
वो ही मुझ से जलता है

हँस रहा हूँ ख़ुद पर मैं
ग़म भी हाथ मलता है

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