अकेला हूँ क्या मैं नही वो मेरे साथ है मेरे जेहन में,
आज आंगन में मेरे साथ बैठी थी वो मेरे जेहन में,
हर रोज़ इंतज़ार करता हूँ चेहरे पे एक हल्की मुस्कान के साथ पर अंदर से बहुत बेचैन ज्वालामुखी हूँ मैं,
शायद दो ज़िन्दगी जी रहा हूँ मैं मन्नू मेरे जेहन में।-
वो बचपन का दोस्त उस बचपन की दोस्त से आज फिर मिला,
जगह वही पुरानी जहाँ सारी नयी अठलेखियो का जन्म हुआ हाँ वही प्रौढ़ रेनुसागर,
बारहवीं की वो चहलकदमी आज फिर जीवंत हो गयी आज भी वही राह वही सड़क वही साज़, साज़िश हवाओ की भी वही थी,
वो एक दसक कुछ पलों में सिमट गया,
फ़र्क था तो सिर्फ यही की दोस्ती को मोहब्बत हो गयी
-
अरावली सा थक गया हूँ,
मुझे हिमालय सा उर्जावान होना है,
बहुत ढूढ़ा ख़ुदा को मैंने
अब खुद का भगवान होना है।।-
मैं शून्य हूँ या लाख हूँ,
सीने की आग हूँ या
चिता की राख हूँ
मैं निकला हूँ खुद
की खोज में "मन्नू"
पाया तुमको मैंने हृदय
खुद उसमे एक सुराख हूँ।।-
सुनो मेरे चेहरे पर देखना तुम मुसलसल मुस्कान के तिनके पर तर जाओगे,
मेरी आँखों में जो तुमने देखा मुसलसल ग़म के दरिया में डूबना तय है।।-
की दिल इस सर्द मौसम में भी,
दिल सिर्फ तेरे इश्क़ की आग तापता है।।
-
दरिया पतवार नइया भंवर तुम्हीं हो,
इमरत भी तुम और ज़हर तुम्हीं हो,
जीना मरना कब का सब छोड़ दिया मैंने
मगर इस दहर के आगे वो दहर भी तुम्हीं हो।।
-