अजब गजब ससुराल
लगती है जहां बेटी की गाली भी प्यारी
कहती बहू वाह रे! कैसी?
ससुराल की यह दुनिया न्यारी,
अजी बहू-बेटी कुछ नहीं ये तो हैं सिर्फ नाम
यही माला ससुराल वाले जपते हैं दिन-रात,
फिर सोचे बहू यदि फर्क़ है
सिर्फ नामों के,
तो क्यों ?? मेरे ही नाम है घर के सभी कामों पे,
कहते ससुराल को ऐसी
विचित्र दुनिया है ,
जहाँ बहू के दर्द से इन्हें
कुछ नहीं होना है,
हाय! बेटी हमारी छींक दी
आज सारा दिन का यही रोना धोना है।
बेटी कभी हमारी गलत नहीं है क्यों? बहू तू अभी तक समझी नहीं है ?
कहे बहू अंत में
फर्क़ नहीं सिर्फ दो नामों का,
हैं अन्तर
विचारों और संस्कारों का। -Jîज्ञासा-
आप जिन्हे हमारे बारे में
भड़काते है
उनकी आंखों में
हम पढ़ जाते है-
आज़ बहुत खुश हूँ मैं,
बहुत ज़ोर से चीखने का मन हो रहा है,
लेकिन यहाँ तो ज़ोर से बोलना भी मना है,
"ससुराल में बैठी एक लड़की" नें ऐसा कहा...!!-
कुछ रिश्ते नए से ज़रुर है,
लेकिन महक यहां भी वो बचपन वाली ही है।।
एक बहन है जो छोटी ही सही,
लेकिन उसकी परवाह में मां सी ममता है।।
एक मां जो मेरी मां तो नहीं,
लेकिन प्यार में कमी उसकी मुझे दिखती ही नहीं।।
कौन कहता है के ससुराल में मेरे पापा नहीं है,
मेरे ससुर जी सा लाड़ भी मुझे कोई लड़ाता ही नहीं।।
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के मत डालो अभी जोर इतना दिमाग पे,
लिखती रहना बाद में बैठकर ससुराल में।-
आज एक बात समझ आ गई,
रोती हुई मेरी आंख धुंधला गई।
कोई नहीं होता किसी का इस युग में,
बेटियां का कोई साथ नहीं देता घर में,
सब लोग स्वार्थी होते हैं घर में।
मतलब का साथ सब को पसन्द आता हैं,
बेटियां का ना ही कोई घर होता हैं।
मायके का घर बेटियों के लिए पराया होता हैं वहीं,
ससुराल का घर तो सिर्फ पति का घर होता है।-
छोटी मोटी बातों पर हमारी होती तक्रार है
जीत उनकी हर बार होती मेरी ही हार है
फिर भी रिश्ता हमारा चल रहा शानदार है
ऐ ही मेरे वैवाहिक जीवन का पूरा सार है-
ना जाने गलत कौन है
मैं सिर्फ़ अपना कर्म करती रहूंगी।
ना मैं गलत करूँगी,
बस सही वक्त का इंतजार करूँगी,
ताकि गलत को उसकी गलती बता दूँ।-
Kya koi sasural
Apna nenehi ho Sakti ...
Kya koi beti ko
Sas ki jagah me maa
nenhi mil Sakti.....
Kya koi v ladki
Ko apnapan nenhi mil Sakti .....
Par kiyu...
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