Dekhte hi dekhte
Dil me utha Arman, Jane kab Zid hogya
Dekhte hi dekhte
Din Ka Ramjaan, Jane kab rat Ka Eid hogya-
जिंदगी के अंत तक इंसान केवल सिखता है
खुदरा बाजार में कहा कोई अनुभव बिकता है
हैं आसान नहीं पर जिंदगी को जीना पड़ता है
कभी अपनों से तो कभी ग़ैरों से लड़ना पड़ता है
जिंदगी हर मोड़ पर नए सवाल में उलझाती है
अनुभव ही है जो हर मसले को सुलझाती है
जिंदगी कभी ठंडक तो कभी अंगार होता है
संघर्ष ही तो जीवन का सच्चा श्रंग़ार होता है
कभी धुप कभी छाओ जैसे मौसम बदलता है
कभी अकेले तो कभी संग काफिला चलता है-
हो कभी जो खुद पर मान,
तो कुछ वक्त केलिए शमशान घूम लेता हूँ,
छोड़कर मैं का साथ तू के तराने में झूम लेता हूँ।-
जाने क्यूँ?
हमारी आकांक्षाय हमें इतना मजबूर कर बैठाती है,
कर अपनों को अपनों से दूर संग ग़ैरों के बैठाती है।
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सत्य है कि ख़ुदा, कण कण में समाया हैं,
पर माया ने हमें, इसे अक्सर भरमाया हैं।
गर कोई करे कोशिश भी इसे जानने की,
तो धर्म के नाम पर ठेकेदारों ने डराया हैं।
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खोकर अपने "मैं" को, ख़ुदा को पाया हैं,
वेद, ग्रंथ,शास्त्र में भी, ये ही समझाया हैं।-
खोकर अपने "मैं" को, ख़ुदा को पाया हैं,
वेद, ग्रंथ,शास्त्र में भी, ये ही समझाया हैं।-
हे ख्वाइश की जिंदगी की ऐसी रीत हो
मुझे सबसे और सबको मुझसे प्रीत हो
भले हो हमारे धर्म मज़हब अलग अलग
हर एक के जुबाँ पर प्यार का ही गीत हो-
तू तू करते करते मैं तेरा हो गया
इस दौरान मेरा मैं कही खो गया,
हो ना जाऊ मैं बंजर ज़मीन इसलिए
वो दिल में मेरे प्यार का बीज बो गया।-
करो असल की पहचान, बातें किताबी ना हो
जोड़ो रब से नाता, कर्मकाण्ड के आदी ना हो,
हाथ जोड़कर करता हूँ मैं यही प्राथना सभी से
लेकर नाम धर्म का, इंसानियत की बर्बादी ना हो।
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