खयाल रखते हैं सबका परवरिस सबकी करते हैं
हरेक मंदिर में जाके मन्नतें भी मांग आते हैं
वो क्या देंगे सिला ये सोचकर हलकान क्या होना
हमे मालूम है होकर रहेगा जो भी है होना
इन्हें हम ही नही दुनिया भी अपने रंग देती है
कभी किस्मत नई चालों से हमको दंग करती है
जो देखा सपनो की ताबीर तक मन की नही होती
जहाँ चाहो वहीं पर तो कोई मंजिल नही होती
बराबर एक सी तो हाथ की उंगली नही होती
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