Aafreen M Juwaley   (Ajna)
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Joined 11 May 2017


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Joined 11 May 2017
1 OCT 2023 AT 11:50

ज़ख्मों को दिल के हमने
बड़े नाजों से छुपाए रखा है,
कुछ इस तरह कांटो पर
हमने गुलिस्तां सजाए रखा है,
बरसातें हो न जाएं
आंखों से कहीं किसी रोज़,
आंखों पर हमने
झुकी पलकों को कुछ
ऐसा बांध बनाए रखा है।

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1 OCT 2023 AT 10:21

दोस्तों से ग़िला क्या हम करें,
हमें तो खुद से मिले ज़माने हुए हैं।

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14 JUL 2023 AT 21:25

उसने कहा था हमराज़ हूं मैं तेरा,
राज़ दिल का मेरे जिस्से
बाँटा था मैंने गेहरा,
तूफानों में साहिल हूं मैं तेरा
ऐसा ही कुछ मुझसे उसने कहा था,
जाने कब वो हमराज़ दग़ा दे गया,
राज़ दरमियाँ था जो हमारे
अब वो सरेआम हो गया,
साहिल केहता था जो मेरा खुद को,
खुद मेरी ज़िंदगी तूफानों से भर गया।

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14 JUL 2023 AT 20:46

उसने कहा था हमराज़ हूं मैं तेरा,
राज़ दिल का मेरे जिस्से
बाँटा था मैंने गेहरा,
तूफानों में साहिल हूं मैं तेरा
ऐसा ही कुछ मुझसे उसने कहा था,
जाने कब वो हमराज़ दग़ा दे गया,
राज़ दरमियाँ था जो हमारे
अब वो सरेआम हो गया,
साहिल केहता था जो मेरा खुद को,
खुद मेरी ज़िंदगी तूफानों से भर गया।

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8 JUL 2023 AT 20:58

कोई अपनों से ज़्यादा क़रीब हो जाता है,
कोई बताए ऐसा क्यों हो जाता है,
वो हो तो तन्हाइयां भी मेहफ़िलों सी लगतीं हैं,
वो साथ छोड जाए तो दुनिया भी झूठी लगती है,
कोई इतना अज़ीज हो जाए, के
खुद से खुद की मोहब्बत कम हो जाए, 
कोई बताए कोई इतना ख़ास क्यों हो जाता है,
किसी की खुशियाँ किसीके ग़म,
हमारी जान से ज़्यादा कीमती हो जाए,
खुद फना होकर, किसी को आबाद कर जाएं,
कोई बताए ऐसा इश्क़ किसी से क्यों हो जाता है।

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2 JUL 2023 AT 0:00

हम दर ए दुनिया छोड़ेंगे जब,
आसुओं की बारिशें सुनाएंगी 
अफसाने दर्द ए मोहब्बत के हमारे जब,
एहसास होगा तुम्हें शायद तब,
के चोट मोहब्बत की जिसने थी खाई
वो तुम थे या हम,
जिसने क़ुर्बानी दी अपनी मोहब्बत की
हज़ारों चोटें दिल पर खाकर
वो तुम थे या हम,
रुस्वाइयाँ मोहब्बत में सही जिसने
हँस कर छुपाए जुदाई के ग़म
वो तुम थे या हम।

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28 JUN 2023 AT 13:20

कई तूफानों को अपने दिल में
क़ैद किये साहिलों पर खड़े थे हम,
दुनियाँ समझ बैठी बड़े ख़ुश हैँ हम,
कहा, तुमभी तो ज़रा चख लो तूफानों को,
बड़े मज़े से खड़े हो जो बचकर साहिल पर तुम,
क्या ख़बर थी उन्हें कितने तूफानों से लड़े हैं हम,
साहिल तो बस एक छलावा था,
हमारी नज़रों से देखा होता, तो जानते,
बस तूफानों से ही घिरे हैं हम।

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27 JUN 2023 AT 23:08

ज़िंदगी को बड़ी आरज़ू थी तेरी,
मौत को गले लगा कर देखें,
क्या हासिल होता है हमें।

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27 JUN 2023 AT 23:00

वो कहते हैं भूल कर बीता हुआ कल
तुम आगे बढ़ जाओ,
कोई पूछे ये उनसे ज़रा,
कोई कैसे आगे बढ़ जाए,
जब माज़ी किसी के साथ
कदम से कदम मिलाए चलता रहे।

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27 JAN 2023 AT 22:19

ये न सोचो कि ज़िन्दगी ने हमें दिया क्या है,
ये सोचो ये ज़िन्दगी जो हमे मिली है,
उसे हमने दिया क्या है,
किसी कि अन्धेरी ज़िन्दगी को,
कितना रोशन हमने किया है,
जीने को तो हर कोई जीता है, मगर
किसी और के लिए ज़रा जी कर तो देखो,
ज़िन्दगी कि सच्ची खुशि का पता चलता है।

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