" एक बारिश सर्दियों में भी तो होती है...
बादलों से छन के धूप की बारिश! "
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एक तो गुस्ताख़ तेरी यादें,
जले पर नमक सी ये सर्द अँधेरी रात...
दरकार है तो बस मुलाकात की,
ख्वाबों में तो होती रहती बात..।-
सर्द मौसम...
ज़िन्दगी-ए-रोज़मर्रा की मुश्किलें कम थीं क्या,
ऐ सर्द मौसम तूने भी कुछ रियायत ना की आपनी सख़्ती में।-
कि कच्चे अनार को तोरू तो तोरू कैसे,
कि सर्दी में रजाई को छोरूं तो छोरुं कैसे,
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इन सर्दियों से जो
धूप की चाहत रख़ता हूँ
तुम्हें पता हैं मैं तुमसे
कितनी उम्मीद रख़ता हूँ-
ये सर्द मौसम और
हाथों में पुरानी यादो की तस्वीर
फर्क सिर्फ इतना है
तस्वीर तो सलामत है मगर
यादें कांच की तरह टूट गयी।-
उनके चेहरे पर मुस्कान, और आँखों में चमक छा गई।
जब सर्द ठिठुरती शाम को, बदन पर उनके कम्बल आ गई।।-
भला लज़्ज़त-ए-इश्क़ कि कहां कोई मियाद होती है,
सर्द होठों का क़हर, सर्दी में ही बे-हिसाब होती है !!
بھلا لذت عشق کی کہا کوئی میاد ہوتی ہے..
سرد ہونٹوں کا قہر,سردی میں ہی بے حساب ہوتی ہے !!-
बदन काप रहा था किसी का ठंड से
ओर जूते वाले बोले,
" वाह क्या गुलाबी मौसम है "
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