Shahrukh Saif  
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Joined 14 September 2018


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Joined 14 September 2018
25 MAR 2022 AT 18:58

बड़ी हमदर्दी से दर्द बाँटने लगा वो मेरा,
बस एक ख़्वाब देखा "बे-ताबीर" सा।

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10 JAN 2022 AT 19:09

कुछ जख्मों को रफ़ू कर लिया आज फ़िर,
फ़िर एक अरसा हो आया मुस्कुराये बग़ैर,

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20 DEC 2021 AT 18:51

हूँ मैं मानिंद हर्फ़-ऐ-ख़ामोशी सा,
गर ना पढ़ पाये तो फ़िर लानत है तेरे इश्क़ पर।

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6 DEC 2021 AT 17:23

हिज़ाब-ए-हया से त'आरुफ भी कराया मुझे,
है वो बे-लिहाज़ बड़ा फिर ये भी महसूस कराया मुझे।

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12 NOV 2021 AT 19:09

फिर लौटा वो मेरे ख़्याल-ऐ-फ़रसूदा की मानिंद,
ज़रा ताबीर करो कोई मेरे ख़्वाब-ऐ-बे'ताबीर की।

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21 OCT 2021 AT 10:52

या ख़ुदारा इस दफ़ा ये कैसा हादसा मेरे साथ हुआ,
अजीज़ तो क्या,मेरा आईना भी मेरे ख़िलाफ़ हुआ।

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13 OCT 2021 AT 18:00

Gunaah💭


आख़िर उसने ही तोहमत लगा दी मेरे गुनहगार होने की,
जिस के सिवा मेरे पास को गवाह भी ना था।

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4 OCT 2021 AT 16:08

पुराने ज़ख्म नायाब ख़ंजर से लगाने चला है मुझे,
ये कमबख्त इश्क़ फिर आजमाने चला है मुझे।

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20 SEP 2021 AT 11:12

ताक पर रखे, कुछ धुंध जमे ख़त जला दिए मैंने,
आज वही पुराना जमाना फिर से याद बहुत आया।

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9 SEP 2021 AT 17:47

ऐ मेरे अजीज़ ना पूछो राज़ ख़ामोशी का मेरी,
पोशीदा ज़ख्मों को कुरेदना अब मुनासिब नही।

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