ग़र देनी है सज़ा तो फ़कत एक दफ़ा मंज़ूर सजा-ए-मौत करो।
अब हर पल इस बेदर्द मौत को और झेल नहीं सकता मैं।।-
कल मरूँ, या आज मरूँ, जीने की ख़्वाहिश नहीं मे... read more
ज़िन्दगी मेरी चिथड़ों में बिखरी पड़ी है,
जो मिले फुर्सत, तो तुरपाई माँ से करा लूँ।।-
क्यों बेमतलब आसमान छूने की बात करती है ऐ धूल,
जो चंद बूँदें बारिश की गिरी, तो औकात याद आ जाएगी।।-
तेरे माथे को चूम कर, मुझे सुकून दिल का मिलता है,
देख कर मुस्कुराहट तेरी, चमन दिल का खिलता है।
तेरी मोहब्बत में इस क़दर फ़ना होना है मुझे जानां,
ज्यों समंदर में सलिल, बहती नदिया का मिलता है।।-
बस एक आस थी जीने की, अब वो भी रही नहीं मेरी,
कल मरूँ, या आज मरूँ, जीने की ख़्वाहिश नहीं मेरी।।-
वो यारों संग जो सजती थी, वो महफ़िल कोई और थी,
अब हम अकेले जो सजाते हैं, ये महफ़िल कोई और है।
जब सब मिलकर मस्तियाँ करते थे, वो दौर कोई और था,
अब अकेले बस कोशिशें करते हैं, ये दौर कोई और है।।-
कभी उनके खास थे, अब हम आम हो चले,
मोहब्बत में सनम की हम बदनाम हो चले।
कभी छुप-छुप कर गुजरते थे हम दुनिया से,
अब उसी दुनिया में हम सर-ए-आम हो चले।।
शराबी हम, और आँसू हमारे जाम हो चले,
कल तक जो सही थे, गलत वो काम हो चले।
काश! हम बचा पाते, खुद को इस कहर से,
कर इश्क़, खुद अपनी मौत का इंतजाम हो चले।।-
मेरे लिए जो मोती हैं, तेरे लिए महज़ आँखों का पानी है,
मेरी पाक मोहब्बत का रिश्ता भी, तेरे लिए जिस्मानी है।
करी मिन्नतें, रोया-तड़पा भी, पर समझ नहीं आया तुझको,
कि मोहब्बत तेरे जिस्म से नहीं मेरी मोहब्बत तो रूहानी है।।-
ये ख़िलाफ़त की आँधियाँ बुझा नहीं सकती उन चिरागों को,
जो रोशन इस धरती के लाडले वीर जवानों के लहू से हुए हैं।।-
मोहब्बत के बाज़ार में सब कुछ लुट गया मेरा,
बाज़ार दिलों का है, कि बस गिरे ही जा रहा है।।-