अब तमन्ना ना है कुछ और जीने
की
मैखाने मे थोड़ी देर और बैठे रहने
दो
अभी और ख्वाइस बांकी है पीने की-
वो मोहब्बत से नाराज़गी कुछ इस कदर जताता है,
सबाब की जगह अब शराब आजमाता है ।।
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दोस्तो के बिना मस्ती की तो क्या की मैंने
तुम्हारे नापे पैमाने से शराब पी तो क्या पी मैंने
तुम्हारी जिन्दगी के उसूल होंगे सम्भाल कर रखो
तुम्हारे उसूलों से जिन्दगी जी तो क्या जी मैंने-
शब्दों को शराब पे रखकर
दिल के राज ना खोलो,...
आंखों से सुन लेता हूं,
तुम अपना मुंह मत खोलो।-
Log Kahte Hain,
Sarab Ka Nasha Bekaar Hain,
Ye Liver Khrab Kar Deti Hain...
Lakin Yaaron, Jara Khud Hi Socho...
Ishq Ka Nasha To, Sarab Se Bhi Kharab Hain.
Yeto Zindagi Barwad Kar Deti Hain...-
एक दिन ही सही लेकिन खुल कर जीना है...
मुझे मैखाने मे बैठ कर जी भर कर पीना है...
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Sarab Ke Do Ghut Se,
Nasha Chadhti Hain...
Unke Chand Mulakaat Se,
Dillon Main Mohabbat Badhti Hain..-
Ishq Ka Nasha Sarab Se Bhi Bura Hota Hain....
Ek Baar Chad Gya Phir Kabhi Nahi Utarta Hain...-