Erotica लिखने का मन हो रहा
लेकिन लिखूं या न लिखूं इसमें
मुझे संशय हो रहा... 😂😂-
आने वाले समय पर संशय कैसा
उसके रचियता तो हम स्वयम् है
~भागवत गीता-
यदि हम मानवीय प्रेम को ईश्वरीय प्रेम की तरह करें तो सारे संशय दूर हो जायेंगे।केवल प्रेम होगा भक्ति की तरह ।
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शब्द मेरे बनेंगे दुश्मन मेरे ही सोचा ना था,
दोस्तों के बीच संशय खड़ा करेगा सोचा ना था.
लगता है की काश हम लिखते ही नहीं तो अच्छा था,
लफ्ज़ पे मेरे यार रूठ जायेंगे, हमने कभी सोचा ना था.-
सुना है,
आज कल,
हर वक्त,
ख़ुद को वो,
संशय की दीवारों में क़ैद रखता है !!
पर था कभी,
वो शख़्स भी,
इस क़दर बेपरवाह,
कि रातों में भी खिड़कियाँ,
खोल के निश्चिंत हो सोता था !!-
विश्वासाची खोलीच जिथे नाही...
तो स्वप्नांचा महाल टिकणार कसा ?
संशयाच्या भोवऱ्यात अडकलेल्या मनाच्या नावेला,
प्रेमाचा आधार तारणार तो कसा ?
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हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद दो नहीं हैं,
बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर घटने वाली दो घटनाएं हैं । जब तक मन में संदेह है, हिरण्यकश्यप है और जब अटूट विश्वास है तब प्रह्लाद है...
"बात केवल नज़रिये की है बस"
....स्रोत अन्य।-
कोणी संशय घेतला म्हणून लगेच समजू नये की त्या माणसाचा आपल्यावर विश्वास नाही. कदाचित त्या व्यक्तीला तुम्हाला गमावण्याची भीती वाटत असेल..
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