कर्म सदैव अच्छा करें क्यूंकि कर्म एक पहिये जैसा है जो घूम कर वापस आपके पास आएगा ही आप इसके फल से बच नहीं सकते और इसका फल आपके किये कर्म के अनुरूप ही होगा इसमें कोई संशय नहीं है। अतः हे मनुष्य!
सद्कर्म करो क्यूंकि अंत में तुमको ही इसका फल पाना है,
ये पूर्णतया तुम पर निर्भर है सद्कर्म करोगे तो सुःख प्राप्त होगा और दुष्कर्म करोगे तो दुःख प्राप्त होगा और इसमें भगवान का पूजा पाठ करने से बच नहीं सकते क्यूंकि भगवान भी आपके कर्म के अनुरूप ही सहायता कर सकते हैं कर्म अच्छे हैं तो सहायता प्राप्त होगी अन्यथा दुष्कर्म करने वाला चाहे कितना भी भगवान की पूजा पाठ कर ले मृत्यु तुल्य कष्ट पायेगा ही... ये अटल सत्य है।-
𝙸𝙳𝙴𝙽𝚃𝙸𝚃𝚈 - 🇮🇳
𝚁𝙴𝙻𝙸𝙶𝙸𝙾𝙽 - 𝙸𝙽𝙳𝙸𝙰𝙽
कितनी भी बेईमानी कर लीजिये दुनिया ईमानदारी से ही चलती है अगर पूरी दुनिया बेईमान हो जाये तो दुनिया ही खत्म हो जाएगी, बेईमान भी अपने बुरे काम के लिए ईमानदार खोजता है, यही सच्चाई है। इंसान को खुद के लिए सच्चा होना चाहिए ताकि खुद की कमियों को गलतियों को क़ुबूल कर सके, दूसरों की गलतियां तो पूरी दुनिया देखती है। बहादुर ही खुद की गलती मान कर उसे सुधारने की कोशिश करता है।
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स्वार्थी सदैव स्वयं को महत्व देता है वह स्वयं के द्वारा किये गए थोड़े से कार्यों को ही परमार्थ मानता है भले ही वह उसके परिवार के लिए हों या उसका कर्तव्य हो जबकि परमार्थ स्वयं का किंचित भी ध्यान किये बिना अन्य का, जगत का कल्याण होता है यह आपका स्वयं के परिवार से अलग कर्तव्य है। स्वार्थी चाहता है परमार्थ करे परन्तु वह चाहकर भी परमार्थ नहीं कर सकता क्यूंकि परमार्थ आपके चरित्र और स्वाभाव से जुड़ा होता है।
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इन गुलाबों की अहमियत
दिलों के खेल ने कम कर दी है
वरना ये खामोशियों में छुपे
इकरार को इज़हार करने
का काम करते थे
मेरे लिए तो अब भी ये
वही कीमत रखते हैं
जब उसके दिए
कागज़ के गुलाब अब
तक दराज़ में महफूज़ रखे हैं
ये तो फिर भी असली
और खूबसूरत है...-
कैसी दुनिया मेरी बिखर सी गई है
उसके बिना ज़िंदगी सहम सी गई है..
जाने क्यूं उसके message का
इंतज़ार होता है
न मैं कुछ कह पाता न वो कुछ
कहती!
कुछ भी नहीं दरमियां फिर क्यूं
अब उससे प्यार होता है?-
भगवान को कभी देखा है
हां देखा है
वो हर रोज़ हर किसी को
नहीं दिखता है
दिन दुःखियों की हर निर्दोष
जीव की लेकिन सुनता है
जब कोई नहीं आता बचाने
बस वही तो आता है
वही गौओं को बचाने श्वान
रूप ले चला आता है
हृदय से पुकारोगे तो
निश्चित ही वो आता है
वही जगन्नाथ दीनबंधु
करुणाकर विश्वनाथ
वही तो शिव और
नारायण कहलाता है..-
तुम्हारा जाना यूं सहा जाता नहीं
क्या बोलूं तुमसे दूर रहा जाता नहीं..
सोचता हूं तुम मेरी खामोशियों में
छिपा दर्द पढ़ लोगी!
कहना तुमसे बहुत कुछ है मग़र
क्या करुं की तुमसे कुछ कहा जाता नहीं..-
जो तुम गई तो सब गया अब क्या
ये दिन क्या रात है
कल भी मेरी न थी तू न होगी तू कल
मग़र आज है..-
किसी और से चाहत थी
हमसे बस दिल बहला लिया
जो खेल खेलना था खेल लिया
दौलत आराम रुतबा भी पा लिया
ताउम्र तन्हाई का दर्द का
इनाम भी हमें मिल गया
कब की खत्म ये इश्क़ फरेब
की कहानी है
फिर क्यूं बहता आँखों से
ये झूठा पानी है..-
How to get stronger when
There is not any direction,
Self motivation ability and
Unlimited hope to survive
In there is no hope condition.-